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अनुरागिनी यक्षिणी साधना और धन प्राप्ति अनुभव भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक ऐसा अनुभव हमें प्राप्त हुआ है जो कि अनुरागिनी यक्षिणी साधना से संबंधित है। और उनको बड़े ही। चमत्कारिक अनुभव इस साधना में हुए हैं। इसके अलावा उन्होंने एक बहुत ही गोपनीय प्रश्न भी पूछा है तो चलिए शुरू करते हैं। और पढ़ते हैं इनके पत्र को जानते हैं क्या है इनका यह अनुभव?

पत्र-प्रणाम गुरुजी! और धर्म रहस्य के सभी दर्शकों को मैं अपने हृदय से नमस्कार करता हूं। गुरुजी आपके इंस्टामोजो में अनुरागिनी यक्षिणी साधना थी। इसके अलावा आपके जीवन में भी इसी यक्षिणी से संबंधित अनुभव आपने 3 वर्ष पूर्व डाला था। इसलिए मैंने इस साधना को करने के लिए सोचा था। गुरुजी! अपने पत्र को शुरू करने से पहले आपसे प्रार्थना है कि कृपया मेरा पत्र, ईमेल और पत्र इत्यादि ना किसी को बताया जाए और ना ही इसके संबंध में कोई विवरण किसी को दिया जाए।

गुरु जी अब मैं अपने विषय पर आता हूं। मैंने यह साधना आपके इंस्टामोजो अकाउंट से खरीद कर करने की सोची थी। मुझे लगा कि जब आपके जीवन में यक्षिणी आ सकती है तो अवश्य ही मेरी जिंदगी में भी आ सकती होगी। इसीलिए आकर्षित होकर मैंने इसकी साधना के लिए पूरी व्यवस्था कर ली। घर पर ही मैं इसकी साधना करने की पूरी व्यवस्था कर चुका था। गुरु जी मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं। इस साधना से पहले! मैंने भगवान शिव और मां दुर्गा के मंत्रों का लगभग 12 लाख जाप किया हुआ है। और इसी कारण से मैंने यह हिम्मत दिखाई। ताकि मैं। इस साधना में सफल हो सकूं। इसके अलावा मैंने। आपको गुरु मान कर इस साधना को ग्रहण किया था क्योंकि? किसी से भी कोई साधना लेने पर आप स्वयं उसके शिष्य हो जाते हैं। लेकिन यहां पर बहुत ही दुर्लभ बातें होने वाली थी जिसके विषय में मैंने कभी भी सोचा ही नहीं था कि ऐसा कुछ घटित होगा। मैंने साधना शुरू कर दी। गुरु जी इस साधना में कुछ दिन तो कोई अनुभव नहीं हुआ, फिर एक रात जब मैं सो गया, अचानक से मुझे मेरे बगल में किसी स्त्री के लेटे होने का आभास हुआ। उसने अपना हाथ मेरे शरीर पर फेरना शुरू कर दिया। और धीरे-धीरे उसने मेरा गुप्तांग पकड़ लिया। जैसे ही उसने उसे पकड़ा मेरे अंदर अजीब सी हलचल मचने लगी। मेरे अंदर बहुत ही तेजी से काम भावना आ गई। मैंने उसे कस के जकड़ लिया। पर जैसे ही मैंने यह कार्य किया। अचानक से मेरी नींद खुल गई। देखा रात के 3:00 बज रहे थे। मैंने जो कुछ भी अनुभव किया था, वह इतना सत्य प्रतीत हो रहा था जैसे कि सच में वह सब कुछ घटित हुआ हो।

मैंने इस बात का शुक्र मनाया कि कम से कम मेरा वीर्य नहीं निकला। क्योंकि अगर ऐसा होता तो मेरी साधना उसी दिन भंग हो जाती। इसी प्रकार काफी दिन चलते रहे एक दिन मुझे। जाप करने के दौरान किसी के छूने का अनुभव हुआ। वह मेरे पीछे से गुजरती हुई अपनी उंगलियों से मेरी गर्दन के पीछे के भाग को छू कर गई थी। मुझे उस एहसास ने आनंदित कर दिया था। उसके पैरों की झंकार और शरीर से आती सुगंध। मुझे मदहोश कर देती थी जब भी वह आती थी, पता नहीं क्यों मेरे मन से डर समाप्त हो जाता था। एक बात मैं आपको बता दूं। मैंने इस साधना में उसे प्रेमिका मानकर ही साधना शुरू की थी।

साधना के 14वे  दिन। अचानक से ही मुझे तेज बुखार हो गया। मुझसे उठा तक नहीं जा रहा था किंतु मैंने फिर भी उस साधना को करने की सोची। उस दिन जैसे तैसे मैंने दर्द में वह साधना पूर्ण की थी। जैसे ही मेरी साधना का वह दिन पूर्व हुआ। मैं बिस्तर पर जाकर लेट गया। मुझे लगा आज तो मैं मरते मरते बचा हूं क्योंकि इतना अधिक शरीर में दर्द और बुखार था कि मुझे दवाई लेनी चाहिए थी। पर मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया था।

किंतु उस रात जो हुआ वह एक आश्चर्य से भरा हुआ था। मैंने सोचा चलो किसी तरह से मैंने कोई साधना पूर्ण तो की है और इस प्रकार मैंने किसी प्रकार जब वह साधना पूर्ण कर ली और उस रात सो गया तो मेरे बगल में एक बार फिर से किसी स्त्री के होने का आभास हुआ और उसने मुझसे कहा, कितनी मेहनत तुमने की है। मैं तुम्हें कुछ सुख देना चाहती हूं। तुम परेशान मत हो। और उसने मेरे चेहरे को अपने चेहरे के करीब किया। फिर उसने मेरे होठों पर काफी देर तक चुंबन किया। और वह चुंबन चलता रहा।

और उसके बाद एक चमत्कार घटित हुआ। मेरी आंख एक बार फिर से खुल गई। मैंने देखा कि जब सामने एक सुंदर सी स्त्री दरवाजे से बाहर निकली पर दरवाजे बंद थे, पर मैंने खुली आंखों से 3 सेकंड के लिए एक बहुत ही सुंदर स्त्री को दरवाजे से बाहर निकलते और दरवाजे में प्रवेश करते हुए देखा था। मेरे लिए वह एक चमत्कार जैसा था, लेकिन यह तो सिर्फ एक झलक भर थी। उसके बाद जो हुआ उसके बारे में मैंने सोचा तक नहीं था। रात के 2:30 बज रहे थे। तभी मैंने खुद को देखा, मैं पूरी तरह स्वस्थ हो चुका था। क्या किसी के चुंबन से कोई पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है जबकि मैंने तो सोचा ही नहीं था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। गुरुजी वह दिन एक चमत्कारिक दिन था जब तेज बुखार और दर्द मेरे शरीर में था लेकिन उसके चुंबनों मेरे शरीर का दर्द और बुखार समाप्त कर दिया था। शरीर में इतनी ताजगी और स्फूर्ति आ गई थी कि?

मैं चाहता तो साधना मैं फिर से बैठ सकता था।

लेकिन इस प्रकार से मैंने इस साधना को। तय समय से ज्यादा दिन करने की सोची। क्योंकि साधना का आखरी दिन भी समाप्त हो गया, किंतु वह साधना चलती ही जा रही थी। वह प्रत्यक्ष नहीं हो रही थी। अचानक से 1 दिन साधना करते वक्त मैंने गुस्से से उसे कहा, अगर मुझे प्रत्यक्ष दर्शन नहीं देने हैं तो ना दो लेकिन मुझे धन दिला दो। क्योंकि अगर तुमने मुझे कुछ नहीं दिया तो मेरे इतने दिनों की मेहनत बर्बाद हो जाएगी। मैं बहुत गुस्से में उस दिन था और अचानक से ही मुझे ऐसा एहसास हुआ। किसी ने मेरे सिर के बालों को छुआ है। और वह छूकर अचानक से निकल गया। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। क्योंकि साधना के दिन समाप्त हो चुके थे। फिर भी उस शक्ति के दर्शन नहीं हुए थे। आपने जैसा बताया है कि साधना के दिन केवल उस शक्ति तक आपकी बात पहुंचने के दिन होते हैं जिन्हें हम सिद्धि के दिन मान लेते हैं। किंतु यह सत्य है कि जितने दिनों में सिद्धि लिखी होती है, उतने दिनों में नहीं होती। इसीलिए मैंने साधना को जारी रखने का निर्णय लिया। उस रात जब मैं सोया तो स्वप्न में एक सुंदर सी लड़की को देखा जो मेरे पास आकर बैठ गई और मुझे लगातार घूरे जा रही थी। उसने हंसते हुए कहा, तुम मुझसे क्या चाहते हो? मैंने उससे कहा, मैं जो साधना कर रहा हूं, वह पूर्ण करना चाहता हूं। उसका प्रत्यक्षीकरण चाहता हूं। तुम कौन हो तो वह हंसकर कहने लगी जिसकी तुम पूजा कर रहे हो, मैं वही हूं। तुम मेरे लिए इतना अधिक अधीर हो कि मैं तुम्हारे पास आए बिना रह भी नहीं सकती। तुम्हें धन चाहिए ना चलो, मैं तुम्हें एक जगह ले चलती हूं। और फिर वह मुझे मेरे गांव के एक तालाब में लेकर गई।

और उसने कहा इस तालाब के अंदर छलांग लगाओ! और मैंने छलांग लगा दी। पानी के अंदर वह मेरे साथ तैर रही थी।

और उस स्थान पर पहुंची जहां पर कुछ सोना गड़ा हुआ था। मैंने वह सोना उठाया और बाहर ले कर आ गया। तब उसने मुझसे पूछा, तुम्हें यह सोना चाहिए या मेरा साथ? मैंने कहा पहले सोना उसके बाद तुम!

और फिर अचानक से ही मेरी नींद खुल गई। मैंने देखा यह सब क्या था? मुझे कुछ समझ में नहीं आया। अगले दिन सुबह मैं उस स्थान की ओर गया जहां तालाब था। और उस तालाब के पास पहुंच कर ठीक उसी जगह पहुंचा जहां से मैंने सपने में छलांग लगाई थी। मैंने पानी के अंदर जाना उचित समझा और मैं कूद गया। अंदर जाकर जो मैंने देखा, वह एक आश्चर्य से कम नहीं था। गुरुजी अगले भाग में मैं आपको इसके आगे की बात बताऊंगा क्योंकि पत्र बहुत अधिक लंबा मैं नहीं करना चाहता।

नमस्कार गुरु जी!

संदेश -तो देखिए यहां पर इन्होंने अनुरागिनी यक्षिणी साधना का। अनुभव भेजा है आगे क्या घटित हुआ अगले पत्र के माध्यम से हम लोग जानेंगे? अगर आपको अनुभव पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

अनुरागिनी यक्षिणी साधना और धन प्राप्ति अनुभव भाग 2
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