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पिशाचिनी का प्रत्यक्ष आना और स्वप्न में गुरु के दर्शन सच्चा अनुभव

पिशाचिनी का प्रत्यक्ष आना और स्वप्न में गुरु के दर्शन सच्चा अनुभव...

पिशाचिनी का प्रत्यक्ष आना और स्वप्न में गुरु के दर्शन सच्चा अनुभव

चरण स्पर्श गुरुजी और धर्म रहस्य देखने वाले सभी दर्शको को मेरा प्रणाम आशा करता हूँ कि आप स्वस्थ एवं सकुशल होंगे |
गुरु जी कृपया आप मेरा नाम और email id गुप्त रखिएगा |
पूर्व के अनुभव मे, मैंने आपको बताया था।
की शक्ति किस प्रकार से मुझे एक विशेष साधना के संबंध में बताती है | जहाँ पर वह मुझे यह भी बताती है कि आपसे पूर्व जन्म में कुछ गलती हुई थी |
इसी प्रकार गुरुजी मैं एक दिन बैठकर यह सोच रहा था कि आखिरकार पूर्व जन्म में मुझसे कौन सी गलती हुई है?
तब उस दिन मुझे स्वप्न में एक शक्ति दिखाई देती है जो की मूल रूप से एक बकरी के रूप में होती है।
फिर में उस शक्ति से पूछता हूँ कि आप कौन हैं ?
कही आप माता मेलडी की तो शक्ति नहीं हैं ?
तब वह शक्ति बोलती है नहीं मैं माता महाकाली की शक्ति हूँ और उनके आदेश पर ही आई हूँ | मैं तो तब से आपके साथ हूँ जब से आपका जन्म हुआ है‌ |
मैं वही शक्ति हूँ ।
मैंने उनसे कहा कही आप देवी कर्णिका तो नही |
उन्होंने कहा हाँ मैं वही हूँ |
तब वह देवी बोलती है आप मेरे साथ आइए आज मैं आपके सभी प्रश्नों का उत्तर दूंगी जिनको आप जानना चाहते हैं |
गुरु जी इसके बाद में देवी के साथ जाने लगता हूँ ।
कुछ ही दूरी पर जाने के बाद मुझे एक सिंहासन पर बैठी हुई स्त्री दिखाई देती है | उनके चारों और बहुत सारे लोग थे |
उन्होंने देवी कर्णिका से मेरी और इशारा करते हुए, कहा कुछ भी हो जाए तुम इसे छोड़ कर कभी मत जानाा | देवी कर्णिका ने उनसे कहा माता आप चिंता ना करें मैं इनके साथ सदैव रहूँगी |
इसके बाद मैं देवी के साथ आगे की और जाने लगता हूँ‌ |
हम दोनों । एक स्थान पर पहुँच जाते हैं जहांँ पर एक गुफा होती है हम दोनों उस गुफा के अंदर प्रवेश कर जाते हैं |
देवी मुझसे कहती है इस सिला के ऊपर एक काँच होगा | उस काँच के ऊपर अपने मंत्र शक्ति का प्रयोग कीजिए और जैसा ही मैंने उस काँच के ऊपर अपने मंत्र शक्ति का प्रयोग किया | वह काँच पूरी तरह से टूट गया |
उसके बाद उस काँच के अंदर से एक परी प्रकट होती है | वह परी मुझसे कहती है | आपका धन्यवाद कई वर्षों के बाद मैं इस बंधन से मुक्त हुई हूँ |
मैं आपको अपना एक गुप्त मंत्र प्रदान करती हूँ । जिसका केवल 11 बार उच्चारण करने मात्र से ही मैं आपके समक्ष प्रकट हो जाऊँगी | परंतु स्मरण रहे इस मंत्र का प्रयोग आपको एक निर्जन स्थान पर करना है आप इसे अपने घर पर प्रयोग न करें।
इसके बाद वह मुझे अपना मंत्र प्रदान करती है | लेकिन किसी कारणवश मुझे मंत्र की ध्वनि ही सुनाई नहीं देती‌ और परी भी वहाँ से अदृश्य हो जाती है |
गुरु जी इसके बाद मैं और देवी कर्णिका उस गुफा से बाहर आ जाते है |
इसके बाद देवी कर्णिका मुझसे बोलती है |
इस स्थान से कुछ ही दूरी पर एक विशेष प्रकार का दर्पण लगा हुआ है | जिसके माध्यम से आप सभी प्रकार के अपने प्रश्नों का उत्तर ज्ञात कर सकते हैं।
फिर हम दोनो उस स्थान की और जाने लगते हैं
उस स्थान पर जाने के बाद मुझे एक विशेष प्रकार का दर्पण दिखाई देता है | तब देवी कर्णिका बोलती है इस दर्पण को ध्यान पूर्वक देखिए |
इसके बाद जैसे ही मैं उस दर्पण को ध्यान पूर्वक देखता हूँ वह पूरी पिक्चर की तरह चलने लगती है।
मैं उस दर्पण में देखता हूँ कि एक साधक जो की एक स्थान पर बैठ कर गायत्री माता के निरंतर मंत्रों का जाप कर रहा होता है |
तभी वह साधक जोर-जोर से हँसने लगता है और कहता है इतने वर्षों के बाद मेरा संकल्प पूर्ण हुआ।
इसके उपरान्त वह साधक एक गाँव की ओर चला जाता है और तभी उसे जोर जोर से किसी के पुकारने की आवाज सुनाई देती है |
वह साधक अपने चारो और देखता है कि यह आवाज आखिर कहाँ से आ रही है |
उसके बाद उस साधक की नजर एक कुएँ पर पड़ती है जिसमें से वह आवाजें आ रही थी | तब वह साधक उस कुएँ के पास चला जाता है |
उसका बाद जब वह साधक उस कुएँ के अंदर देखता है तो उसे एक स्त्री दिखती है | जिसका चेहरा पूरी तरह से जला हुआ होता है उसके शरीर के वस्त्र भी फटे हुए होते हैं |
वह स्त्री उस साधक से कहती है कृपया आप मुझे इस कुएँ से बाहर निकालने में मेरी सहायता कीजिए |
तब वह साधक बोलता है मैं तेरी जैसे स्त्री की सहायता नही करता और उस स्त्री को बहुत सी अपशब्द बाते बोलने लगता है |
वह स्त्री अत्यंत क्रोधित हो जाती है और दैव्य कन्या में परिवर्तित हो जाती है | उस साधक से कहती है तुझे बहुत अहंकार हो चुका है तेरा अहित निश्चित है |
तब साधक बोलता है तेरी जैसी शक्तियाँ मेरी नौकर है मैंने माता गायत्री के मंत्र का 1 करोड़ जाप किया है | मुझे कई सारी सिद्धियाँ भी प्राप्त है मुझे कोई पराजित नही कर सकता |
इसके बाद वह देवी तीव्र स्वर में बोलती है जा मैं तुझे श्राप देती हूँ आज और इसी समय जितनी भी तूने सिद्धि की है वह सभी सिद्धि नष्ट हो जाए |
तुझे भी अपने जीवन में कष्ट और पीड़ा सहनी होंगी |
तू चाहे किसी भी शक्ति की सिद्धि कर ले |
कोई भी शक्ति तेरी पूर्ण रूप से कभी सहायता
नही कर पाएगी |
इसके बाद उस दर्पण में मुझे वह दृश्य दिखना बंद हो गया |
मैंने देवी कर्णिका से पूछा वह देवी कौन थी ?
तब वह बोली आपने जिनको देखा वह एक दैव्य स्त्री थी | जो की आपकी परीक्षा लेने आई थी और आप असफल रहे यह आपका पूर्व जन्म था |
गुरु जी इसके बाद मैं देखता‌ हूँ | उस दर्पण के बगल में एक और दर्पण आगया है |
देवी बोलती है अब इस दर्पण को भी ध्यान पूर्वक देखिए जैसे ही मैं उस दर्पण को ध्यानपूर्वक से देखता हूँ |
मुझे एक व्यक्ति दिखाई देता है जिसकी age 26 साल की होगी और उसने white clour के dress को पहना था |
वह व्यक्ति अपने गुरु के पास चला जाता है और अपने गुरु से कहता है गुरुदेव आप मुझे कोई ऐसी साधना विधि बताएँ जिससे मुझे माता काली के प्रत्यक्ष दर्शन हो |
तब उनके गुरु माता काली के प्रत्यक्ष दर्शन की सम्पूर्ण साधना विधान उस व्यक्ति को बता देते हैं |
लेकिन वह व्यक्ति कहता है गुरुदेव क्या मैं यदि इस साधना को करूँगा तो मुझे माता काली के प्रत्यक्ष दर्शन होंगे ?
तब उनके गुरु बोले निश्चत ही तुम्हें माता काली के प्रत्यक्ष दर्शन होंगे |
किसी भी साधना की सफलता हेतु सर्वप्रथम अपने गुरु के ऊपर पूर्ण विश्वास और उस मंत्र और उस शक्ति के प्रति पूर्ण प्रेम और समर्पण होना अत्यंत आवश्यक है तभी सफलता की प्राप्ति होती है |
यदि तुम चाहते हो कि तुम्हें माता काली के प्रत्यक्ष दर्शन हों तो यहाँ से कुछ दूरी पर एक माता काली का मंदिर है, जो स्वयं में जागृत है |
यदि तुम उस स्थान पर जाकर साधना करोगे तो निश्चय ही तुम्हें माता काली के प्रत्यक्ष दर्शन होंगे |
किंतु एक बात स्मरण रखना माता की जो निम्न प्रकार की शक्तियाँ है जिन्हे हम पिशाचिनी कहते है तुम्हे ऐसी शक्तियों से सावधान रहना अत्यंत आवश्यक है |
क्यूंकि ऐसी शक्तियाँ तुम्हे अपने मायाजाल में फसाने का पूर्ण प्रयास कर सकती है |
इसके बाद वह व्यक्ति अपने गुरु के चरण स्पर्श करता है और उस स्थान की और गमन कर जाता है |
कुछ समय बाद वह साधक उस स्थान पर पहुँच जाता है जहाँ पर माता काली का मंदिर होता है |
इसके बाद साधक उस स्थान पर माता काली की साधना करने लग जाता है यह साधना 11 दिवस की होती |
साधक प्रथम दिवस की साधना को पूर्ण करता है |
दूसरे दिवस भी माता काली की साधना अच्छी प्रकार से पूर्ण कर लेता है | किंतु तीसरे दिन जैसे ही साधक माता काली के मंदिर में जाने वाला होता है |
उसे वृक्ष के पीछे एक कन्या दिखाई देती है |
जो की पूर्ण रूप से 18 या 19 वर्ष की कन्या लग रही थी | उसकी सुंदरता अद्भुत थी | उसने वैसे ही वस्त्र धारण किए थे जैसे अप्सराएँ धारण करती है |
वह स्त्री साधक को अपने हाथो की अंगुली से‌ इशारा करते हुए अपनी और बुलाती है | साधक भी उस स्त्री के पास चला जाता है |
साधक उस स्त्री के ऊपर पूर्ण रूप से मोहित हो जाता है और उसके पीछे पीछे जाने लगता है |
कुछ समय बाद वह दोनो एक शमशान भूमि में आ जाते है तब वह स्त्री साधक को जोर से धक्का देती है और वह नीचे गिर जाता है |
वह स्त्री उसके समीप आ जाती है और उसके शरीर के सभी स्थानों को kiss करने लगती है जिसके कारण साधक के अंदर तीव्र वासना जागृत हो जाती है और उन दोनो के मध्य रतिक्रिया संपन्न हो जाती है |
दूसरी और माता काली उस स्थान पर प्रकट हो जाती है जहाँ पर वह साधक माता काली की साधना कर रहा था |
माता चारो और उस स्थान को देखती है किंतु साधक उस स्थान पर कही नही होता है |
माता अत्यंत व्याकुल हो जाती है ‌और कहती है मेरा पुत्र कहाँ चला गया ? आज उसने मेरी साधना भी पूर्ण नही की है | तभी माता उस स्थान से अदृश्य हो जाती है और उस साधक के समक्ष अपने चतुर्भुज स्वरूप में प्रकट हो जाती है |
माता साधक को निर्वस्त्र अवस्था में देखती है और कहती है पुत्र तुम यह क्या कर रहे हो ? तुम्हारा उद्देश्य तो मुझे प्राप्त करना था ?
तुम जिस स्त्री को अप्सरा समझ रहे हो वह वास्तव में एक पिशाचिनी है |
तब साधक माता से कहता है माता आपने सत्य कहा मेरा उद्देश्य तो आपको प्राप्त करना था | परन्तु अब मैं जीवन के वास्तविक सुख को जान चुका हूँ इसलिए अब मुझे आपकी कोई आवश्यकता नहीं‌ है ।
साधक के इस प्रकार के कथन से माता काली के नेत्रों में आँसू आ जाते हैं और माता उस स्थान से अदृश्य हो जाती है |
साधक को अब पिशाचिनी सिद्धि प्राप्त हो चुकी थी वह पिशाचिनी साधक की भार्या बनकर उसी श्मशान भूमि में निवास करने लगी | गुरु जी इसके बाद दर्पण में मुझे सब कुछ दिखना बंद हो गया |
इसके बाद स्वप्न में मैं माता महाकाली को देखता हूँ | माता बोलती है |
पुत्र पूर्व जन्म में तुम्हारी साधना अपूर्ण रह गई है |
तभी देवी कर्णिका कानो में बोलती है आप उसी साधना को पुनः कर लीजिए आपको माता काली के प्रत्यक्ष दर्शन हो जाएँगे |
तब मैं माता महाकाली से कहता हूँ माता क्या मैं उसी साधना को कर लूं जो पूर्व जन्म में क्या था?
माता कहती है नही तुम्हे उस साधना को करने की कोई आवश्यकता नहीं है | पूर्व जन्म में मै तुम्हारे साथ काली स्वरूप में थी |
इस जन्म में महाकाली स्वरूप में हूँ |
तुम केवल महातपस्या साधना करोगे |
जीवन में इतना कष्ट सहे हो थोड़ा कष्ट और सह लो पुत्र |
इसके बाद मेरा स्वप्न टूट गया |
इसके अगले दिन जब मैं सो रहा था तो अर्ध रात्रि में अचानक मेरी नींद टूट जाती है |
तभी कोनो में एक ध्वनि सुनाई देती है कि पिशाचिनी आई हुई है यह पिशाचिनी आपके पूर्व जन्म की है।
गुरु जी पिशाचिनी के बाल पर मेरे मुख पर आ रहे थे और उसके नाखुन लम्बे लम्बे थे और अपनी नखुली नखुन से मेरे पीठ को धीरे-धीरे रगड़ रही थी |
लेकिन मैंने अपनी नेत्र को जान बूझ कर नही खोला और जैसे ही मैंने माता महाकाली का नाम लिया |
वह पिशाचिनी अदृश्य हो गई जब नेत्र खोला तो कोई नही था |
गुरुजी इसके अगले दिन स्वप्न में उसी पिशाचिनी को देखता हूँ।
वह पिशाचिनी अत्यंत तीव्र स्वर में मुझसे बोलती है कि पूर्व जन्म में मैं आपको अपने साथ तो नहीं ले जा सकी,
लेकिन इस जन्म में अवश्य आपको अपने साथ ले जाऊँगी और बहुत तीव्र गति से मेरी ओर आने लगी ।
तभी आकाश में तीव्र स्वर गुंजा भैरवी इसके बाद मेरा स्वप्न टूट गया।
किंतु गुरु जी तभी मेरे कानों में एक बार फिर से ध्वनि सुनाई देती है कि पिशाचिनी अब सदा के लिए जा चुकी है अब चिंता की कोई बात नहीं है |
गुरु जी मैंने सोचा था देवी कर्णिका और देवी दुर्गा पुत्री दोनो एक ही है |
किंतु मुझे यह पता लगा है की यह दोनो माता महाकाली की ही शक्ति है किंतु देवी कर्णिका एक योगिनी शक्ति है और देवी दुर्गा पुत्री एक भैरवी शक्ति है |
किंतु गुरु जी मुझे एक बात समझ नही आती जब भी कोई शक्ति मुझे मंत्र प्रदान करती है या तो मुझे उस मंत्र की sound ही सुनाई नही देती या फिर मैं उस मंत्र को ही भूल जाता हूँ |
जब की भगवान शिव यदि कोई मंत्र मुझे प्रदान करते है तो मैं कभी नही भूलता हालांकि उनके माध्यम से मुझे एक ही मंत्र प्राप्त हुआ था |
जो की उनके अघोर शिव स्वरूप का मंत्र था |
वह मंत्र मैं आज तक नही भुला हूँ क्योंकि भगवान शिव ने मुझसे कहा था मेरे माध्यम से जो भी तुम्हे मंत्र प्राप्त होंगे तुम्हे जीवन भर स्मरण रहेगा |
गुरु जी वह मंत्र कुछ इस प्रकार से था |
मंत्र :- ॐ शिव रूप अघोरेश्वराय नमः
गुरु जी कई वर्ष हो चुके है लेकिन आज तक यह मंत्र मुझे स्मरण है |
गुरु जी यह अनुभव ज्वाला यक्षिणी साधना से संबंधित है हालाँकि यह साधना मेरे भैया ने किया था |
किंतु अनुभव मुझे भी हुए गुरु जी होली की रात्रि भैया इस साधना को करने के लिए अपने कक्ष में बैठ जाते है इसके बाद वह साधना करने लगते है |
मैं सोने के लिए चला जाता हूँ | किंतु अर्धरात्रि में बहुत जोरो से प्यास लग जाती है तभी मुझे भैया और दीदी के आपस में बात चीत करने की आवाज सुनाई देती है
मैं सोचने लगता हूँ इतनी जल्दी भैया की साधना कैसे पूर्ण हो सकती है |
इसके बाद में बेड से उठकर पानी पीने के लिए जाने लगता हूँ | तभी भैया के मंत्र जाप की ध्वनि सुनाई देती है इसलिए मैं पुनः अपने बेड पर आकर बैठ जाता हूँ |
क्योंकि अगर मैंने उनको साधना करते हुए देख लिया होता तो उनकी साधना खंडित हो जाती |
मैं अपने बेड पर ही बैठा हुआ होता हूँ की तभी मेरे चारो और कोई घूमने लगता है | मैं सोचने लगता हूँ यह कौन सी शक्ति है |
तभी एक तीव्र स्वर में आवाज सुनाई देती है ज्वाला |
मैं समझ जाता हूँ की यह देवी ज्वाला यक्षिणी है इसके बाद वह मुझे कुछ बोलती है लेकिन मुझे कुछ समझ नही आता उन्होंने क्या कहा?
इसके बाद मैं पुनः सो जाता हू | स्वप्न मे मै ज्वाला यक्षिणी देवी को देखता हूँ | वह मुझसे बोलती की अब मैं तुम्हारी परीक्षा लूँगी |
इसके बाद वह मेरी परीक्षा लेती है मैं पूर्ण रूप से सफल हो जाता हूँ |
वह मुझसे बोलती हैं की किस रूप में मुझे स्वीकार करना चाहोगे मैंने उनको कहा आप एक उच्चकोटी की यक्षिणी शक्ति है | इसलिए मैं आपको माता के रूप में स्वीकार करता हूँ |
देवी बोलती है मैं तुम्हे अपनी सिद्धि प्रदान करना चाहती हूँ | इसके बाद मैं तुम्हारे समक्ष प्रत्यक्ष रूप से आजाऊँगी |
किंतु मैं उनको बोलता हूँ मैं सिद्धि नही ले सकता मैं माता महाकाली को पूर्ण रूप से प्राप्त करना चाहता हूँ | यदि आपको सिद्धि प्रदान करना ही है तो आप मेरी भैया को प्रदान कीजिए |
तब देवी बोलती है तुम्हारा भाई मेरी परीक्षा में असफल रहा |
मैंने देवी से प्रार्थना किया आप उनको एक और अवसर दीजिए वह बोलती है ठीक अपने भाई को कहना वह कल पुनः मेरे मंत्र का जाप करे मातृरूप में संकल्प लेकर |
भैया को मैं इस बारे में सब कुछ बता देता हूँ |
अगली रात्रि वह पुनः देवी ज्वाला यक्षिणी के मंत्र का जाप करते है | उसी रात्रि मुझे स्वप्न में पुनः दिखाई देता है की देवी ज्वाला यक्षिणी भैया के कक्ष के अंदर प्रवेश करती है और उनके समक्ष अपने फ्रॉक को हाथो खींचकर जोर से बजाती है |
इस दौरन भैया को वह आवाज भी सुनाई देता है |
गुरु जी भैया को और कुछ अनुभव होते है किंतु प्रत्यक्ष सिद्धि की प्राप्ति नही होती |
गुरु जी इसके कुछ दिन बाद वह तांत्रिक पुन: मुझ पर मारण प्रयोग करता है |
मैं स्वप्न में एक स्त्री को देखता हूँ जो की एक दैव्य स्त्री के समान लग रही थी |
तभी माता महाकाली प्रकट हो जाती है और उन देवी से कहती है आप मेरी ही अंश शक्ति है और इसके बाद माता अपने उस स्वरूप को अपने अंदर समाहित कर लेती है |
गुरु जी इसके बाद माता अप्रसन्न मुद्रा से मेरी और देखती है और अदृश्य हो जाती है |
गुरु जी इसके कुछ दिन बाद मैं देखता हूँ की कुछ लोग आपकी वीडियो को copy कर रहे है |
इस बारे में मैं एक गुरु भाई के बताता हूँ जो की आपके प्रिय शिष्य भी है |
उन्होंने उस चैनल वाले को copyright strike भेजा और उसी दिन मुझे स्वप्न में दिखा जिस channel पर उन्होंने copyright strike भेजा था |
वह उल्टा उन्हीं गुरु भाई के ही channel पर वापस आगया है |
मैं समझ गया और अगले दिन उन गुरु भाई का message आया जो मैने स्वप्न में देखा था वह सच था |
उन्होंने कहा भाई कुछ कीजिए मैंने उनसे कहा आप youtube team से बात कीजिए इस बारे में और mail भी कीजिए |
लेकिन उनके इतना प्रयास करने पर भी youtube वाले इस matter को serious नही ले रहे थे |
मैंने उन गुरु भाई से कहा आपका channel delete नही होगा गुरु जी पर और माता पर विश्वाश रखे |
उसी रात्रि स्वप्न में मुझे आपके दर्शन होते | आपने कहा आपको उनकी सहायता करने की कोई आवश्यकता नहीं है |
जिसका जो कर्म है वह स्वयं करेगा मैंने आपसे कहा गुरु जी अपने ही तो कहा है | एक गुरु भाई दूसरे गुरु भाई की मदद कर सकता है |
तब आप बोले तब कीजिए मदद |
लेकीन मैं आपको एक मंत्र प्रदान करता हूँ इस मंत्र को जाप करने के बाद YouTube team से बात कीजिएगा |
आपने मंत्र तो बताया but मंत्र का sound ही clear सुनाई नही दिया |
इसके बाद अपने कहा हमारा उद्देश्य स्वयं को आगे बड़ाना है माता के कार्यों को आगे बड़ाना है | आप कही निर्वस्त्र मत हो जाइएगा |
इसके बाद आप मुस्कुराए और अदृश्य हो गए मुझे कुछ समझ में नही आया |
दूसरे दिन मैंने वह method निकाल लिया जिसके through हम direct youtube team से chat पर बात कर सकते है anytime |
मैंने वही method उन गुरु भाई को भेज दिया इसके बाद अब उनका channel safe है |
गुरु जी उसी रात्रि मैं माता महाकाली से निवेदन करता हूँ कि माँ आजकल आप मुझसे बात नही करती | कृपया आप मुझसे बात कीजिए पहले की तरह |
फिर स्वप्न में एक स्थान पर स्वयं को देखता हूँ |
मै कही जा रहा होता हूँ तभी एक स्त्री मेरे पास आकर खड़ी हो जाती है और कहती है तुम यहाँ से आगे नही जा सकते सबसे पहले तुम्हे परीक्षा देनी होगी |
मैंने कहा कैसी परीक्षा?
उन्होंने कहा तुम्हे मेरा स्तन पान करना होगा निर्वस्त्र होकर |
मैंने उनको कहा मैं छोटा बच्चा हूँ क्या? जो स्तन पान करूँगा?
हटिए मेरे मार्ग से और मैं दौड़कर भागने लगता हूँ |
तभी वह स्त्री बोलती है तुम कही नही जा सकते और अचानक 10 दिशाओं से 10 शक्ति प्रकट हो जाती है |
जैसी ही मैं उस स्त्री की और देखता हूँ उनके body का clour change होने लगता है |
वह श्याम वर्ण में परिवर्तित हो जाती है और माता महाकाली का स्वरूप धारण कर लेती है |
मैं दौड़कर उनके पास चला जाता हूँ मैंने कहा माता आप |
माँ बोली आज मैं तुम्हारी परीक्षा लूँगी मैंने माँ से पूछा कैसी परीक्षा?
माँ ने कहा आज मैं तुम्हे निर्वस्त्र अवस्था में अपना स्तन पान कराऊँगी |
यदि तुम्हारे अंदर माता के अतिरिक्त कोई दूसरी भावना जागृत हुई तो तुम्हे दंड भी दूँगी |
लेकिन माँ ने कहा मेरी शर्त यह है तुम्हे भी निर्वस्त्र होना होगा |
इसके बाद माता पूर्ण रूप से निर्वस्त्र अवस्था में प्रकट हो जाती है | जब मैं स्वयं को देखता हूँ तो मेरे body पर भी कोई वस्त्र नही होता है |
माँ बोलती है पुत्र मेरी गोद में आकर बैठ जाओ |
मैं माँ की गोद में जाकर बैठ जाता हू और उनके स्तन पान करने लगता हूँ |
इसके बाद वह पूरा दृश्य गायब हो जाता है और एक ध्वनि सुनाई देती है |
आज से आप माँ के प्रिय पुत्र बन चुके है |
गुरु जी मैं एक बात बताना भूल गया था की झारखंड में एक विशेष स्थान है जहाँ पर गुप्त शक्तियों का वास है | उस स्थान के निकट माता दुर्गा का मंदिर भी है |
मैं उस स्थान का नाम बता रहा हूँ किंतु आप इस स्थान के नाम को मत बताइएगा | नही तो लोग ऐसे स्थानों पर जाकर खुद से experiment करने लग जाते है |
इस स्थान के बारे में एक शक्ति ने बताया था उस स्थान का नाम ( श्री मंदिर ) है |
गुरु जी इसके अतिरिक्त शक्ति ने मुझ से कहा है |
माता महाकाली ने आपको एक विशेष कार्य हेतु चयन किया है उन्होंने उस कार्य को बताया और उस कार्य को कैसे करना है उसके बारे में भी |
किंतु उन्होंने कहा सर्व प्रथम आप माता को पूर्ण रूप से प्राप्त कीजिए |
गुरु जी मेरा प्रयास यही रहेगा उस कार्य के माध्यम से मैं आपके प्रचार प्रसार के कार्यों को भी आगे बड़ा सकूँ |
जिससे माता महाकाली के आज्ञा का भी मुझसे उलंगन न हो और गुरु आज्ञा का भी पूर्ण रूप से पालन हो सके |
गुरु जी इसके अतिरिक्त बीरबल जी ने भी माता की साधना की था | नदी के तट पर और उनको माता से वरदान भी प्राप्त हुआ था |
हालांकि गुरु जी आप यदि चाहे तो इस साधना को ज्ञात कर सकते है |
गुरु जी इसके बाद कई बार स्वप्न में मुझे आपके और गुरु माता के भी दर्शन हुए और आपके गुरु भगत जी के भी |
गुरु जी इसके कुछ दिन बाद मैं आपको video को देख रहा था |
रात्रि के 11 बज चुके थे तभी कानो मे फिर से ध्वनि सुनाई देती है की कर्ण पिशाचनी आई हुई है |
इसके बाद गुरु जी मुझे एक स्त्री के निरंतर बोलने के आवाज सुनाई दे रही थी | कर्ण पिशाचनी पता नही क्या क्या बोली जा रही थी ?
कम से कम 10 मिनट तक वह आवाज मुझे सुनाई दिया |
इसके अगले दिन मुझे स्वप्न में पुन: आपके दर्शन होते है |
मैं दखता हूँ की आप अपने बेड पर लेटे हुए है और मैं आपके पैरों को दबा रहा होता हूँ | तभी आप बोले अब रहने दीजिए और जाकर विश्राम कीजिए |
किंतु फिर भी मैं आपके पैरों को दबाता रहा इसके बाद आप मुझसे बोलते है क्या इच्छा है?
तब मैं आपसे कहता हूँ गुरु जी उस शक्ति के दर्शन करवा देते तो अच्छा होता |
आपने कहा ठीक है आप एक पात्र में जल लानिए इसके बाद मैं आपको एक पात्र में जल लाकर दे देता हूँ |
आप उस जल के पात्र को एक table पर रख देते है उसके बाद उस पात्र के ऊपर अपना हाथ रखते है और कुछ मंत्र बोलते है |
उस पत्र में रखा हुआ जल उबलने लगता है और बहुत तेज गति के साथ उबलने लगता है तभी उसमे से तीव्र प्रकाश हुआ आपने कहा इसे ध्यान पूर्वक देखिए |
इसके बाद जैसे ही मैंने उस जल पात्र के अंदर देखा तो वह शक्ति मुझे प्रत्यक्ष दिखने लगी और वह तीव्र स्वर में बोलने लगी |
उसने एक विशेष स्थान को दिखाया जहाँ पर एक फल रखा हुआ होता है | वह कहती है इसे ग्रहण करना है केवल तुम्हें सिद्धि प्राप्त हो जाएगी मेरी |
इसके बाद आप और मैं उस स्थान की और चले जाते है |
लेकिन उस स्थान पर जाने के बाद कुछ लोग कहते है जो भी उस स्थान पर गया वह कभी वापस लौट कर नही आया |
जैसे ही मैं उस स्थान पर प्रवेश करता हूँ तो मेरे सामने एक गुफा होती है और अचानक मेरे चारो और एक काली बिल्ली घूमने लगती है |
तभी आप मेरे पास आजाते है और कहते है आपको इस स्थान पर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है मैं ऐसी शक्तियों के माया जाल को अच्छी प्रकार से जानता हूँ |
आप माँ को प्राप्त कीजिए ऐसी शक्तियां स्वत: ही प्राप्त हो जाएगी | इसके बाद मेरे स्वप्न टूट जाता है |
गुरु जी मेरे कुछ प्रश्न है कृपया इनके उत्तर दीजिएगा :-
(1) गुरु जी आपने मुझसे कहा हमारा लक्ष्य स्वयं को आगे बड़ाना है माता के कार्यों को आगे बड़ाना है आप कही निर्वस्त्र मत हो जो जाइएगा इसका क्या अर्थ था गुरु जी?
(2) गुरु जी पूर्व जन्म का मेरे ऊपर जो श्राप लगा हुआ है वह पूर्ण रूप से कैसे हटेगा?
(3) काली बिल्ली का मेरे चारो और घूमना क्या संकेत दर्शाता है?
(4) गुरु जी कुछ लोग आपकी instamojo की साधना buy करके अपने चैनल पर डाल रहे है इस संबंध में कुछ बोलिए |
(5) गुरु जी भैया को माता पाताल भैरवी बार बार साधना करने को बोल रही है तारा पीठ में लेकिन घर वाले और कुछ पैसे की भी समस्या आरही है इससे संबंध में किया क्या जाए?
(6) गुरु जी मेरे साथ ऐसा क्यूं होता है जब भी कोई शक्ति या आप मुझे स्वप्न के माध्यम से कोई मंत्र प्रदान करते है तो मंत्र याद ही नही रहता और कभी – कभी मंत्र की sound भी clear सुनाई नही देती है कृपया कोई उपाय बताए |
धन्यवाद गुरु जी
चरण स्पर्श जय माँ पराशक्ति जय माँ महाकाली
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