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रतिप्रिया यक्षिणी ,पिशाचिनी और भैरवी के चमत्कारिक अनुभव

रतिप्रिया यक्षिणी ,पिशाचिनी और भैरवी के चमत्कारिक अनुभव

चरण🙏 स्पर्श गुरु जी और धर्म रहस्य के सभी दर्शकों को मेरा प्रणाम |
आशा करता हूँ की आप स्वस्थ एवं सकुशल होंगे |
गुरु जी आपने पूर्व में मेरे कई सारे अनुभव को प्रकाशित किया है इसके लिए आपका धन्यवाद |
किंतु गुरु जी अगर इस बार आप मेरा अनुभव को प्रकाशित करे तो कृपया मेरा email -id show न करे |
गुरु जी वैसे तो मै अपना अनुभव अभी नही भेजना चाहता था | किंतु एक गुरु भाई है | जिनके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए मुझे अपना यह अनुभव आपको भेजना पड़ रहा है और मेरे भी कुछ प्रश्न है | जिसका उत्तर आपसे ज्ञात करना चाहता हूँ |
गुरु जी अनुभव उतने बड़े नही है |
इसलिए पूर्व के अनुभव को भी मुझ add करना पड़ रहा है |
गुरु जी मै अपना अनुभव रतिप्रिया यक्षणी से ही आरंभ करता हूँ | जो कि मूल रूप से आपके मठ कथा से ही जुड़ा है |
गुरु जी एक दिन मै आपके रतिप्रिया यक्षिणी वाले मठ कथा को सुन रहा था | आपके उस मठ कथा को सुनकर मैं अत्यंत भावुक हो गया और मेरे नेत्रों में आँसू आ गए |
मैंने भगवान शिव से मन ही मन प्रार्थना किया और उनसे कहा काश मेरे पास ऐसी शक्ति होती | जिससे मै उस काल खंड में प्रवेश कर जाता और उन दोनो को एक कर देता |
शायद भगवान शिव ने मेरे सच्ची प्रार्थना को सुना लिया और उस दिन मुझे विचित्र और अद्भुत स्वप्न दिखा |
मै स्वयं को अपने ही घर में देखता हूँ | तभी भैया मेरे पास आए और मुझसे कहने लगे की एक छोटी बच्ची आई हुई है | वह तुम्हारा नाम लेकर तुम्हे बुला रही है | वह बार बार कह रही की उसे तुमसे मिलना है |
मैंने भैया से पूछा की मुझसे मिलने कौन आ गया |
तभी मै अपने घर के बाहर जाकर देखता हूँ की एक 8 वर्ष की कन्या वहाँ पर खड़ी है | तब वह कन्या मेरे पास आती है | और मुझसे कहने लगती है |
आप तो एक सच्चे मातृभक्त है न | क्या आप मेरी एक सहायता करेंगे ? क्या आप मुझे मेरी माता से मिला सकते है ? मैंने उससे पूछा कौन है? तुम्हारे माता पिता | उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और वह मुझे अपने साथ ले जाने लगी की तभी वहाँ पर एक सिंह आ गया |
वह कन्या उस सिंह को देखकर अत्यंत ही भयभीत हो जाती है और मुझसे कहती है की अब हमारी रक्षा कैसे होगी |
तब मैंने उससे कहा तुम्हे चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है | मैंने एक लकड़ी को लिया और भगवान शिव का मंत्र पढ़ते हुए एक सुरक्षा घेरा को खींच दिया |
जैसे ही उस सिंह ने उस घेरे के अंदर प्रवेश करने का कोशिश किया | तभी वह दूर जा कर गिर गया | उसके पश्चात वह सिंह वहाँ से चला गया | वह कन्या मुझे आगे की और ले जाने लगी लेकिन वह एक स्थान पर जाकर रुक जाती है |
तब वह कन्या मुझे एक और इशारा करती है और कहती है की आप उस और जाइए | मैं भी उस और जाने लगता हूँ | किंतु जैसे ही मै पीछे मुड़ कर देखता हूँ वह कन्या मुझे कही भी दिखाई नही देती है |
इसके पश्चात मुझे किसी की रोने की ध्वनि सुनाई देती है |
मै उस और जाने लगता हूँ की तभी मुझे एक पुरष दिखाई देता है | जिसने पीले वस्त्र धारण किया हुए थे | वह निरंतर रोया जा रहा था |
मैं उनके निकट जाता हूँ और उनसे पूछता हूँ की आप इस प्रकार रो क्यूँ रहे है | तब वह कहते है | मैंने उसे प्राप्त करने के लिए कितना प्रयास किया किंतु मैं सफल नही हो सका |
मैने उनसे कहा आप मुझे विस्तार पूर्वक बताए |
तब उन्होंने कहा अगर मैं तुम्हे बता भी दूँ तो भी तुम मेरी सहायता नही कर सकोगे |
मैने उनसे कहा मै प्रयास करूँगा | तब उन्होंने कहा मैने अपनी पत्नी को सदैव के लिए खो दिया है | मैने बहुत प्रयास किया उसे प्राप्त करने के लिए किंतु मैं असफल रहा |
मैंने उनसे पूछा कौन है आपकी पत्नी तब उन्होंने कहा रतिप्रिया यक्षिणी ही मेरी पत्नी है | दुख इस बात का है की अब मैं उसे कभी प्राप्त नही कर पाऊँगा |
मैने उनसे कहा ऐसा नही है आपके लिए यह भले ही असंभव होगा | किंतु उनके लिए नही | तब वह कहने लगे तुम किसकी बात कर रहे हो तब मैने उनसे कहा वही जो देवो के देव है |
किंतु वह कहने लगे की यह कैसे संभव होगा | मैंने उनसे कहा आप चिंता न करे | जिसने मुझे यहाँ तक पहुँचाया है अब वही आगे का मार्ग भी दिखाएँगे |
मैने अपना नेत्र बंद किया और भगवान शिव से प्रार्थना करने लगा की गुरु देव मेरा मार्ग दर्शन कीजिए |
तभी वहाँ एक प्रकाश पुंज प्रकट हुआ और मै उसके पीछे पीछे चलने लगा | कि तभी मेरी मौसी जी की बेटी मुझे दिखाई देती है | वह मुझसे कहती है की भाई इधर आओ तुम जिसकी खोज कर रहे हो वहाँ यही पर है |
मै भी उनकी और जाने लगता हूँ | जैसे ही मै उनके पास जाता हूँ तो एक विशाल भवन को देखता हूँ और उस भवन में कई सारी स्त्री होती है | तब मै अपनी बहन से कहता हूँ की मुझे ऐसा क्यूं प्रतीत हो रहा है | की आप कोई और है आप अपने वास्तविक स्वरूप में आइए |
वह मुस्कुराने लगी और उन्होंने अपना वास्तविक स्वरूप धारण किया और कहने लगी मेरा कार्य पूर्ण हुआ | अब आगे का कार्य आप पूर्ण करे | इसके बाद वह अदृश्य हो गयी |
वह सभी स्त्री मेरे पास आ जाती है और मुझे देखकर मुस्कुराने लगती है | की वह सभी स्त्री बोलने लगती है की हम तो इस आशा में थे की भगवान शिव किसी सिद्ध पुरुष को हमारी सहायता के लिए भेजेंगे |
किंतु उन्होंने हमारी सहायता के लिए एक बालक को भेजा है |
अब यह हमारी सहायता कैसे करेगा | इसके पास तो कोई सिद्धि भी नही है | तब मैने उनसे कहा आपने सत्य कहा माता मेरे पास कोई सिद्धि नही है | क्योंकि मेरा उद्देश्य कभी भी सिद्धि प्राप्त करना नही था | मेरा उद्देश्य केवल शिव शक्ति को पूर्ण रूप से प्राप्त करना है |
शक्ति और सिद्धि नष्ट हो जाती है | किंतु भक्ति की शक्ति कभी नष्ट नही होती यही मेरी सबसे बड़ी शक्ति है और यही मेरी सबसे बड़ी सिद्धि है |
तब वह सभी मुस्कुराने लगती है और कहती है की तुम हमे माता कहकर क्यूँ पुकार रहे है | मैंने उनसे कहा क्योंकि आप सभी मेरे लिए माता तुल्य है |
पुनः वह सभी मुस्कुराने लगती है | किंतु तभी मुझे एक कक्ष में से किसी की रोने की ध्वनि सुनाई देती है | मैंने उनसे पूछा माताओं यह रूधन की ध्वनि किसकी है | तब वह कहने लगी यह रतिप्रिया है |
हमने बहुत प्रयास किया इस कक्ष को खोलने का किंतु यह कक्ष नही खुल रहा है | इस कक्ष को खोलना इतना सरल नही है इस कार्य को केवल उच्च कोटि का साधक ही कर सकता है |
मैने उनसे कहा यह कार्य मेरे लिए तो कठिन है किंतु भगवान शिव के लिए नही | उन्होंने कहा क्या तुम्हारे आवाहन करने से भगवान शिव आएँगे | मैने उनको कहा अवश्य ही वह आएँगे |
मैने अपने नेत्र बंद किए और भगवान शिव का आवाहन करने लगा तभी भगवान शिव मुझे दिखे और उन्होंने मुझसे कहा मेरे जिस मंत्र का तुमने निरंतर 2 वर्षो तक जाप किया है |
उसका केवल तीन बार उच्चारण करो और अपने हाथ को इस कक्ष के ऊपर रखो | तुम अद्भुत चमत्कार देखोगे और जैसे ही मैंने ऐसा क्या तभी तीव्र प्रकाश हुआ |
मैंने रतिप्रिया यक्षिणी को अपने समक्ष देखा | किंतु मैंने उनके मुख की और न देखकर उनके चरणों को देखने लगा और उनके चरणों को स्पर्श किया | तब रतिप्रिया ने सदा खुश रहो ऐसा आशीर्वाद दिया |
किंतु तभी वह सभी स्त्री कहने लगी हमे तो विश्वास ही नहीं था की यह कार्य कर पाएगा | तब रतिप्रिया कहने लगी जिनके माता पिता स्वयं शिव और शक्ति हो उसके लिए कुछ भी असंभव नही है | इसके बाद वह मुस्कुराने लगी |
मैने रतिप्रिया यक्षिणी से कहा की मैं आपको अपनी बड़ी बहन के रूप में स्वीकार करना चाहता हूँ | वह बोली ठीक है आज से मै तुम्हारी बहन हुई |
इसके पश्चात उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मैं पुनः स्वयं को उसी स्थान पर देखता हूँ | जहाँ पर वह व्यक्ति बैठकर रो रहे थे | किंतु इस बार रतिप्रिया यक्षिणी भी मेरे साथ थी |
वह व्यक्ति दौड़ कर हमारे पास आते है और रतिप्रिया यक्षिणी को अपने गले से लगा लेते है | तब वह व्यक्ति मुझसे कहते है | तुमने यह कैसे कर लिया |
जिस कार्य को मैं इतने वर्षो से नही कर सका तुमने उस कार्य को इतनी सरलता से कैसे कर दिया |
मैने उनसे कहा जब शिव साथ है तो असंभव भी संभव हो जाता है | यह सब उनकी ही कृपा के कारण हुआ है |
उन्होंने मुझसे कहा तुम्हारा धन्यवाद आज तुम्हारे कारण मेरी पत्नी मुझे पुनः प्राप्त हो चुकी है | मैने उनसे कहा वह सब तो ठीक है |
किंतु आपने अभी तक अपना नाम नही बताया उन्होंने कहा मेरा नाम रामदास है |
तब रतिप्रिया कहने लगी भाई अब हमे आज्ञा दो हम दोनो यक्ष लोक प्रस्थान कर रहे | इसके बाद वह दोनो वहाँ से अदृश्य हो जाते है | इसके पश्चात मुझे माता बगलामुखी के दर्शन होते है | माता मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी |
किंतु तभी माता कहती है आज तुम्हारी भक्ति की शक्ति के कारण दो प्रेम करने वाले सदा के लिए एक हो चुके है तुम्हारा कल्याण हो पुत्र |
गुरु जी यह स्वप्न ऐसा था की आज भी मैं भूला नहीं हूँ इसके बाद मुझे विभिन्न प्रकार के अनुभव होने लगे |
गुरु जी अब भगवान शिव के मंत्र का जाप करते हुए 2 वर्ष हो गए थे |
किंतु एक दिन भगवान शिव ने मुझे ध्यान में दर्शन दिए और उन्होंने कहा आरंभ तो तुमने शिव से किया है | किंतु अंत शक्ति पर होगा | देवी महाकाली तुम्हारे जीवन की समस्या का अंत है इसलिए उनको अब प्रसन्न करो |
इसके पश्चात माँ की भक्ति करना आरंभ किया |
माता ने विभिन्न प्रकार से मेरी परीक्षा लेना आरंभ कर दिया | गुरु जी हर बार माता मेरी परीक्षा लेती और चली जाती | किंतु मैं भी माता की परीक्षा में सदैव सफल रहा |
गुरु जी मैने आपको अपने पूर्व के अनुभव में बताया था की माता काली और भैरवी मुझे छोड़कर चली जाती है |
गुरु जी इस बीच मुझसे कुछ गलती भी हो जाती है |
अब मैं बीमार रहने लगा था | किंतु मैने भगवान शिव और माता की भक्ति करना नही छोड़ा |
किंतु जीवन में विभिन्न प्रकार के समस्या उत्पन्न हो रहे थे |
फिर एक दिन भैया बोले की हमे बागेश्वर धाम वाले बाबा जी के पास जाना चाहिए | वह सब कुछ बता देते है | किंतु मैने भईया से कहा मैं किसी के पास नही जाने वाला |
मुझे माता के ऊपर पूर्ण विश्वास है वही हमारी समस्या और दुखो का अंत करेंगी | मुझे अपने गुरु के ऊपर पूर्ण विश्वास है |
गुरु जी उसी दिन माता काली के स्वप्न में दर्शन होते
है | माता मुझसे कहती है की तुम्हारे परिवार में किसी को मुझपर पूर्ण विश्वास नही है |
किंतु तुम्हे मुझे पर पूर्ण विश्वास है |
माता मुझसे कहती है पुत्र अगर तुम उस साधक के पास जाना चाहते हो तुम जा सकते हो | किंतु वह भी तुम्हारी समस्या का समाधान नही कर पायेगा |
आना तो तुम्हे मेरी ही शरण में होगा |
तभी वहाँ पर एक शक्ति प्रकट होती है और मुझसे कहती है | भविष्य में इन दोनो में से किसी एक की सिद्धि पूर्ण रूप से नष्ट हो जाएगी |
गुरु जी फिर वह शक्ति अदृश्य हो जाती है |
किंतु अब किन दोनो की सिद्धि नष्ट हो जाएगी |
आप इसे भली प्रकार से जानते है वह दोनो ही पर्ची बनाते है और बाला जी के भक्त है |
किंतु गुरु जी माता काली मुझे देखकर मुस्कुरा रही
थी | फिर माँ बोली पुत्र क्या इच्छा है तुम्हारी |
मैंने माता से कहाँ मैं तो केवल आपसे प्रेम करना चाहता हूँ |
इसके बाद माता पुनः मुस्कुराई | उन्होंने मेरे सिर के ऊपर अपना हाथ रख दिया और मुझे बाल अवस्था मे परिवर्तित कर दिया |
इसके बाद माता ने मुझे अपने गोद में ले लिया और उन्होंने मेरे गालों को kiss किया |
किंतु तभी कर्ण पटल पर भैरवी बोलने लगी की आप माता से वचन ले लीजिए फिर वह कभी आपको छोड़कर नही जाएँगी |
फिर मैने माता से कहा प्यारी मम्मू आप मुझे वचन दीजिए | गुरु जी जब मैं छोटा था तो अपनी माँ को प्यार से इसी नाम से बुलाता था | अगर इसके बारे में विस्तार से बताऊंगा तो अनुभव अधिक बड़ा हो जाएगा |
गुरु जी इसके बाद माता काली कहती है कहो पुत्र तुम्हे क्या वचन चाहिए ?
तब मैं माता से कहता हूँ की आप मुझे वचन दीजिए | कि आप मुझे कभी छोड़कर नही जाएँगी और आप सदैव मेरी मम्मू रहेंगी |
माता काली मुस्कुराने लगती है और कहती है |
मैं तुम्हे वचन देती हूँ की मैं तुम्हे छोड़कर कभी नही जाऊँगी | मैं सदैव तुम्हारी ही मम्मू रहूँगी |
गुरु जी इसके पश्चात मेरा स्वप्न टूट जाता है |
अब प्रतिदिन अनुभव होने शुरू हो गए |
गुरु जी आपने अपने पिता के कर्ण पिशाचिनी वाले अनुभव में बताया था की भैरवी की सवारी बिल्ली होती है | क्यूँकि मेरे मन मैं यह प्रश्न बार बार आता था की भैरवी की सवारी कौन है ?
जिसका उत्तर मुझे अब ज्ञात हो चुका था |
गुरु जी अब भैरवी भी आ चुकी थी | अब जब भी मैं गुरु मंत्र का जाप करता था | तो ध्यान में मुझे केवल एक बिल्ली दिखती थी |
जो मुझे देखकर मुस्कुराती थी |
गुरु जी मैं आपके नीली आँखों वाली पिशाचिनी के मठ कथा को सुन रहा था | आपकी वह कथा भी अद्भुत थी |
मै आपके उस कथा को सुनकर सोने चला जाता हूँ |
कि तभी स्वप्न में मुझे एक पुरुष और एक स्त्री को देखता हूँ |
वह पुरुष उस स्त्री की और आगे बड़ते हुए चला जाता है | तभी मैं उस पुरुष का हाथ पकड़ लेता हूँ | मैं उनसे कहता हूँ |
आपको दिखाई नही दे रहा है क्या?
आगे की और खाई है | तभी वह स्त्री बहुत तेज़ी से मेरी और आती है और कहती है | तेरी इतनी हिम्मत मैं तुझे जीवित नही छोडूँगी |
इसके बाद जैसे ही उसने मेरे ऊपर प्रहार करने का कोशिश क्या | तभी वहाँ पर तीव्र प्रकाश हुआ और वह स्त्री दूर जाकर गिर जाती है |
मै भैरवी को अपने समक्ष देखता हूँ | भैरवी अत्यंत ही क्रोध स्वर में उस स्त्री से कहती है | मैं चाहूँ तो इसी समय तुम्हारा अंत कर दूँ | मैं तो चाहती थी कि तुम्हारा कल्याण हो |
मैं भैरवी से कहता हूँ यह सब क्या हो रहा है?
मै यहाँ पर कैसे आ गया और यह स्त्री कौन है ?
तब भैरवी बोली यह एक पिशाचिनी है | आप यहाँ पर स्वयं नही आए मैं आपको लाई हूँ |
मैंने भैरवी से पूछा किंतु |
आप मुझे यहाँ पर क्यूँ लाई है?
तब भैरवी बोली जिस प्रकार आपने रतिप्रिया यक्षिणी
और रामदास का कल्याण किया | ठीक इसी प्रकार अब इनका भी कल्याण कीजिए |
उन्होंने कहाँ यह वही है |
जिनकी आप कथा सुन रहे थे | यह दोनो कब से पिशाच योनि में भटक रहे है | इन्हे मुक्त कीजिए |
मैंने उस पिशाचिनी से कहा क्या आप दोनो इस योनि से मुक्त होना चाहते है | तब वह दोनो कहते है | बिल्कुल हम दोनो ही मुक्त होना चाहते है |
मैंने उन दोनो से कहा ठीक है | मैं आप दोनो को मुक्त कर दूँगा |
किंतु इससे पूर्व आप दोनो को एक दूसरे से क्षमा माँगनी होगी | फिर वह दोनो एक दूसरे से क्षमा माँगते है |
इसके बाद मैं भगवान शिव के मंत्र का जाप करते हुए उनसे प्रार्थना करते हुए कहता हूँ | हे गुरु देव इन दोनो को इस योनि से मुक्ति प्रदान कीजिए |
तभी वहाँ पर तीव्र प्रकाश होता है और वह दोनो वहाँ से अदृश जाते है |
भैरवी कहती है आज इन दोनो को मुक्ति मिल
चुकी है |
इसके बाद मेरा स्वप्न टूट जाता है |
इसी प्रकार कई दिन बीत जाते है | मैं सोचता हूँ की काश माता महाकाली मेरे समक्ष प्रत्यक्ष हो जाती तो कितना अच्छा होता |
मै भैरवी का आवाहन करते हुए कहता हूँ की देवी माता तो इतनी जल्दी प्रत्यक्ष नही होंगी |
आप ही प्रत्यक्ष हो जाइए |
अब भैरवी ने अपना प्रत्यक्ष अनुभव कराना आरंभ कर दिया | गुरु जी एक दिन मैं गुरु मंत्र का जाप कर रहा था |
कि तभी मुझे किसी के बोलने की ध्वनि सुनाई दी | जब मैंने अपना नेत्र बंद किया | तो देखा भैरवी मेरे बगल में बैठी हुई है और वह भी गुरु मंत्र का जाप कर रही है |
इसके बाद अगले दिन जब मैं गुरु मंत्र जाप कर रहा था | तो किसी ने जोर से मुझे पीछे से धक्का दिया |
अगले दिन भी जब मैं गुरु मंत्र जाप करने बैठा |
तो फिर से किसी ने मुझे बहुत जोर से धक्का दिया |
अब हर दिन ऐसा ही होने लगा जब भी जाप करने बैठता तो मुझे कोई पीछे से धक्का दे देता |
मैने माता काली से प्रार्थना क्या की माता जो भी शक्ति मेरे साथ ऐसा कर रही है उसे रोकिए | अगले दिन से यह सब होना बंद हो गया |
लेकिन जब मैं गुरु मंत्र का जाप कर रहा था | तो किसी ने अपना सिर मेरे सिर में लड़ा दिया और किसी के हँसने की ध्वनि सुनाई दी |
अब अगले दिन जब मैं पुनः गुरु मंत्र जाप कर रहा था तो कोई मेरे कानो में आकर कुछ कहकर चला गया |
गुरु जी इसके बाद दूसरे दिन जब मैं मंत्र जाप करके उठने वाला था | तो मैंने किसी स्त्री को बहुत तेजी से जाते हुए देखा |
लेकिन गुरु जी हद तो उस दिन हो गया जब मैंने अपनी माँ के सोने के जगह पर किसी और को देखा |
वहाँ यूँ गुरु जी हर बार की तरह मैं सोने के लिया जा रहा था | कि तभी माँ बोली की आज मैं तेरे साथ नही सो पाऊँगी मुझे आज रात्रि में कुछ करना है |
गुरु जी माँ भी मेरे ही साथ सोती थी |
मै भी माँ को बिना कुछ कहे सोने के लिए चला जाता हूँ | लेकिन फिर मैं सोचता हूँ की bhakti song थोड़ा सुन लिया जाय |
इसके बाद मैं अपने phone में भक्ति song चला कर बगल में रख कर सोने लग जाता हूँ |
लेकिन कुछ time बाद song automatic बंद हो जाता है | फिर से मै अपने phone में song start कर देता हूँ | कुछ time बाद फिर से song बंद हो जाता है |
मैने सोचा लगता है | मेरे phone में कुछ हो गया है |
फिर मैने अपने phone में flight mode on कर दिया और फिर मैं सोने लगा | लेकिन अर्धरात्रि में मेरी निद्रा अचानक टूट जाती है |
मैं देखता हूँ की मेरे बगल में लाल वस्त्र पहनकर कोई स्त्री सोई हुई है उनके बाल बिखरे हुए थे |
मै यह देखकर shocked हो जाता हूँ | मैने सोचा की यह शायद माँ ही होंगी और फिर बिना कुछ सोचे समझे मैं पुनः सोने लग जाता हूँ |
जब सुबह हुआ | तो मैंने माँ से इस संबध में पूछा तो माँ बोली की मैं तो कल रात्रि तुम्हारी पास सोई ही नही थी | अब मैं सोचने लगा की वह स्त्री कौन थी?
इसके बाद जब मैं पुनः अगले रात्रि सोने के लिए गया | तो किसी के पायलो की ध्वनि सुनाई दी | इस बार भी माँ मेरे साथ नही सोई हुई थी | वह पूजा घर में माता का पाठ कर रही थी |
मै सोने के लिए अपने bed पर चला जाता हूँ | ठंड लगने के कारण मैने कंबल अपने ऊपर ओढ़ लिया |
लेकिन गुरु जी कुछ time बाद कोई मेरे कंबल के अंदर आ गया और किसी ने कस कर अपनी बाहों में मुझे जकड़ लिया | मैने उसे जोर से धक्का देते हुए अपने से दूर किया |
तभी मैंने लाल वस्त्र पहने हुई एक स्त्री को अपने छत के ऊपर जाते हुए देखा | वह बहुत जोर जोर से हँस रही थी |
लेकिन गुरु जी ठंड लगने के कारण मुझे ऊपर छत की और जाने की इच्छा नही हुई |
अगले दिन भी कुछ इसी प्रकार से हुआ |
गुरु जी मैं इस बार गहरी नींद में सोया हुआ था | कि तभी कोई स्त्री मेरे शरीर के ऊपर आ गई और जैसे ही उन्होंने मुझे kiss करना चाहा |
तभी मैंने माता महाकाली को देखा | उन्होंने क्रोध स्वर में कहा भैरवी रुक जाओ अन्यथा इसका परिणाम उचित नही होगा | मै स्वप्न में भैरवी को अपने समक्ष देखता हूँ |
माता ने भैरवी से कहा मुझे सब कुछ ज्ञात है |
की तुम्हारे हृदय में किया चला रहा है आज और इसी समय से यह सब बंद करो |
माता ने मुझे भी जोर से डाँटा | उन्होंने कहा मुझे सब कुछ ज्ञात है | कि तुम दोनो के हृदय में क्या चल रहा है मुझसे तुम कुछ छिपा नही सकते |
मैने माता से कहा माता मैं इनको केवल अपना मित्र मानता हूँ | प्रेम तो केवल मै आपसे ही करता हूँ |
अगर मेरे पास हनुमान जी के जैसी शक्ति होती | तो मैं भी आपको यह दिखा देता की मेरे हृदय में केवल आप ही वास करती है | इसके बाद माता मुस्कुराने लगती है |
गुरु जी इसके बाद मेरा स्वप्न टूट जाता है | अगले दिन से सब कुछ normal हो गया |
लेकिन अगले दिन जब मैं पूजा घर में बैठ कर भगवान शिव के मंत्र का जाप कर रहा था | कि तभी बहुत तेज वहाँ पर ब्लास्ट होने की ध्वनि सुनाई दिया |
जब नेत्र खोल कर देखा तो वहाँ पर कुछ भी नही
था | बाद में मुझे ज्ञात हुआ कि मेरे शत्रु ने मेरे ऊपर तंत्र प्रयोग किया था किंतु वह नष्ट हो गया |
गुरु जी एक बार मेरे भैया ने काली कवच का 24 घंटे तक निरंतर पाठ किया | किंतु उनको माता के दर्शन नही हुए | वह भी आपसे दीक्षित है |
भैया को लगा की माता ने उनको कुछ भी प्रदान नही किया | अब उसी रात्रि मैं स्वप्न में एक कन्या को देखता हूँ |
वह कन्या किसी शव के ऊपर बैठ कर कोई मंत्र जाप कर रही थी | तभी मैंने उस शव के ऊपर माता काली को बैठा हुआ देखा |
वह स्त्री माता से कहती है माता मुझे सिद्धि प्रदान कीजिए | तब माता उस स्त्री से कहती है तुमने सदैव लोगो को कष्ट ही पहुँचाया है |
इसलिए मै सिद्धि प्रदान नही करूँगी |
मै भी माता के निकट आ जाता हूँ | वह स्त्री मुझे देखकर बहुत अधिक क्रोधित हो जाती है | वह मेरे ऊपर तंत्र प्रयोग करती है किंतु वह नष्ट हो जाता है |
माता अत्यंत क्रोधित हो जाती है और उस स्त्री से कहती है | इतना दुसाहस तुमने मेरे पुत्र के ऊपर प्रहार किया | इसके बाद माता उस कन्या को अपने मुख में ले कर निगल जाती है |
गुरु जी इसके बाद मैं देखता हूँ की माता पूर्ण रूप से निर्वस्त्र है | उनके गुप्तांग स्पष्ट रूप से दिख रहे थे | माता उस शव के ऊपर निर्वस्त्र रूप में बैठी हुई थी और शव के साथ अचानक रति क्रिया करने लगी |
यह सब दृश्य देखकर मुझे बहुत शर्म आने लगी और मैंने अपना नेत्र बंद कर लिया | मैं सोचने लगा माता ने इस रूप में मुझे दर्शन क्यूँ दिया |
इसके बाद माता ने कहा पुत्र नेत्र खोलो |
माता अब भी उसी स्वरूप में थी | उन्होंने मुझसे कहा तुम्हारे भाई ने मेरे काली कवच का अखंड पाठ किया है | हालाँकि उसने सिद्धि प्राप्ति के उद्देश्य से यह सब कुछ किया है |
मैं उसे सिद्धि तो प्रदान नही कर सकती |
किंतु उसने कर्म किया है | इसलिए फल तो मुझे देना ही होगा | अपने भाई को कहना की वह पाताल भैरवी साधना करे | उसमे निश्चित रूप से उसे सिद्धि प्राप्त हो जाएगी |
किंतु अब संसार के किसी भी शक्ति में इतनी समर्थ नही की उसकी परीक्षा ले सके | जिसकी वह साधना करेगा | वही शक्ति केवल उसकी परीक्षा ले सकती अन्य कोई नही |
मै अपनी ऊर्जा उसके अंदर स्थापित कर रही हूँ | किंतु मेरी यह शक्ति भौतिक जगत में चमत्कार नही दिखाएगी |
केवल आध्यात्मिक जगत में ही यह शक्ति चमत्कार दिखाएगी | जिस दिन वह पाताल भैरवी साधना करेगा मेरी इस शक्ति का अद्भुत चमत्कार देखेगा |
जहाँ भी मेरा आवाहन करेगा मैं उसके साथ विद्यमान रहूँगी | जब तुम सो कर उठोगे तो यह सब बात अपने भाई को बता देना और उसे कुछ अनुभव भी होंगे |
गुरु जी यह सब बात मैने सुबह उठकर अपने भैया को बता दिया | बाद में मुझे पता चला की माता ने जिस काली स्वरूप में दर्शन दिए थे | वह माता का काम कला काली स्वरूप था |
गुरु जी अब मेरी इच्छा हो रही थी की माता मुझे प्रत्यक्ष दर्शन दे | लेकिन यह इतना सरल तो नही है मुझे पता था |
उसी रात्रि मैं स्वयं को माता काली की साधना करते हुए देखता हूँ की तभी वहाँ पर एक शक्ति प्रकट हुआ |
उसने मेरा गला जोर से दबा दिया और कहने लगा छोड़ दे यह साधना नही तो तेरे प्राण ले लूँगा |
मैने उसी समय आपका नाम लिया लेकिन कुछ नही हुआ | मैने गुरु मंत्र पड़ा कुछ भी नही हुआ |
भगवान शिव के मंत्र पड़ा फिर कुछ भी नही हुआ |
माता पराशक्ति का नाम लिया कुछ भी नहीं
हुआ | तभी वहाँ पर और एक शक्ति प्रकट हुई और उसने मुझसे कहा हम जिस भी शक्ति की साधना करते है |
हमे उसी के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हो जाना चाहिए चाहे स्वयं क्यूँ न मृत्यु ही आ गई हो |
तभी मुझे याद आया की मैं माता काली की साधना कर रहा हूँ | मैने माता काली का नाम लिया फिर उस शक्ति ने मेरा गला छोड़ दिया |
माता प्रकट हो गई किंतु मेरे नेत्रों में आँसू ही थे | माता बोली पुत्र रो क्यूँ रहे हो मैं तो आ गई हूँ | इसके बाद मेरा स्वप्न टूट गया |
लेकिन गुरु जी उस शक्ति ने सच मे मेरा गला दबा दिया था | मेरे गले में दर्द होने लगी थी | माता काली का नाम लिया तो दर्द दूर हुआ | दूसरी बात गुरु जी मैं कोई साधना नही कर रहा था | फिर भी ऐसे अनुभव हुए |
गुरु जी यह अनुभव भी मुझे स्वप्न में ही हुए है | लेकिन यह वास्तव में जागृत अनुभव था |
मैन एक दिन माता महाकाली से कहा आप मुझे हर बार स्वप्न में ही दर्शन देती है |
आज मुझे प्रत्यक्ष दर्शन दीजिए हर बार आप मेरे स्वप्न में आती है | किंतु आप मुझसे प्रेम किए बिना ही चली जाती है |
अब उसी रात्रि माता पुनः मेरे स्वप्न में आई | उन्होंने कहा पुत्र क्या इच्छा है तुम्हारी ? मैने माता से कहा न मै धन माँगू | न सम्मान माँगू | न शक्ति और सिद्धि
माँगू | मैं तो केवल तेरा प्रेम माँगू माँ |
माता मुस्कुराने लगी | माँ बोली आज तुम्हे मेरे प्रेम का प्रत्यक्ष अनुभव होगा | ऐसा अनुभव होगा की तुम सदैव स्मरण रखोगे |
इसके बाद उन्होंने मुझे बाल अवस्था में परिवर्तित कर दिया | उन्होंने मुझे अपने गोद में ले लिया | माता के स्पर्श को मैं प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर पा रहा था |
किंतु मैं रो रहा था | माता मुझे शांत करवा रही थी | किंतु मैं शांत नही हो पा रहा था | तभी माता स्वयं मुझे अपना स्तन पान करने लगी |
मैं उनका स्तन पान करने लगा |
कब सुबह हो गया मुझे पता ही नही चला | जब मैं उठा तो दीदी और माँ मुझे देखकर हँस रही थी |
मैने उनसे पूछा क्या हो गया ?
तभी दीदी बोली तुम छोटे बच्चे बन गए थे क्या ?
मैने उनसे पूछा क्यूँ क्या हो गया ?
तब दीदी बोली की तुम कल रात्रि छोटे बच्चे की तरह व्यवहार कर रहे थे | मन तो कर रहा था की तेरे मुख में कुछ डाल ही दूँ | फिर दीदी और माँ हँसने लगी |
मैंने उनसे कहा मैं तो स्वप्न में देखा की | माता आई हुई और स्वयं अपना स्तन पान करा रही है |
तो गुरु जी अनुभव तो बहुत है लेकिन उतना नही बता पाऊँगा | गुरु जी कुछ लोग मुझे telegram पर message करके मुझसे कहते है की आप मेरे बारे में कुछ बता दीजिए |
मेरी यह समस्या है कृपया आप इसका समधन कर दीजिए |
मै सभी से यही कहना चाहता हूँ की मेरे पास कोई प्रत्यक्ष सिद्धि नही है की मैंने मंत्र पड़ा और शक्ति प्रकट हो गई | मैं अभी किसी की कोई सहायता नही कर सकता |
किंतु कुछ गुरु भाई है जिनके पास प्रत्यक्ष सिद्धि है | वह अवश्य आप सभी की सहायता कर सकते है |
अभी मेरा मूल उद्देश्य माता को पूर्ण रूप से प्राप्त करना है | किंतु यह भविष्य में संभव हो सकता है |
क्योंकि शक्ति ने मुझसे वचन लिया है की आप भविष्य में लोगो के कार्य करेंगे किंतु उनसे धन नही लेंगे |
गुरु जी माता को पूर्ण रूप से कैसे प्राप्त करना है | यह मार्ग भी मुझे ज्ञात हो चुका है |
गुरु जी एक गुरु भाई | जिन्होंने मुझसे कहा था की आपको जिस विधि से भगवान शिव के प्रत्यक्ष दर्शन हुए थे | कृपया वह विधि बताए |
तो गुरु जी मैं आपको भी बता दूँ | वह कोई special विधि नही है |
मैने 2 वर्षो तक अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया था | शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से भी |
मैं सदैव उनके ही मंत्र का जाप करता था | चलते फिरते भी | उनकी ही भक्ति करता रहता था | जहाँ भी उनका ध्यान करता वही पर मुझे दिखने लग जाते थे |
दीवार की और देखता तो उसमे भी मुझे वही मुझे दिखते | book देखता तो उसमे भी मुझे केवल भगवान शिव ही दिखते |
जब तक आपके अंदर वह अवस्था नही आएगी तब तक आपको आपके आराध्य के दर्शन नही होंगे मैं स्वप्न की नही मैं प्रत्यक्ष की बात कर रहा हूँ |
गुरु जी मैंने इन 2 वर्षो में phone भी उतना use नही किया |
जिस प्रकार साधना के जो नियम होते है मैंने बस उनका ही पालन किया था और जो मुझे भगवान शिव के दर्शन हुए थे | वह उनका अर्ध प्रत्यक्षीकरण था | क्योंकि मैं उस अवस्था को प्राप्त कर चुका था |
मेरा तो मन इस संसार से पूर्ण रूप से हट चुका था | मन करता था की किसी एकांत स्थान पर निवास करुँ | किंतु भगवान शिव ने मुझे रोक लिया |
गुरु जी मेरे कुछ प्रश्न भी है अगर हो सके तो आप इनका उत्तर दे दीजिएगा :-
(1)मैंने कई बार स्वयं को सूर्य पुत्र कर्ण के रूप में देखा और यह स्वप्न निरंतर 1 माह तक मुझे दिखी है गुरु जी पूर्व जन्म में मेरा उनके साथ कोई संबध हो सकता है क्या?
(2) गुरु जी माता की साधना करते हुए देखना और उस शक्ति का मेरा गला दबाना यह प्रत्यक्ष रूप से कैसे संभव हो सकता है ?
(3) गुरु जी मुझे आशीर्वाद दीजिए की मैं अपने उद्देश्य में सफल हो जाऊँ और माता को पूर्ण रूप से प्राप्त कर सकूँ |
चरण स्पर्श गुरु जी
जय माँ पराशक्ति ||
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