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तारा पीठ शमशान भैरवी की साधना 6 अंतिम भाग

तारापीठ श्मशान भैरवी की साधना अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । आज में एक बार फिर से आप के लिए तारापीठ की श्मशान भैरवी का अंतिम भाग लेकर आया हूं । जो आप लोगों द्वारा काफी ज्यादा पसंद किया जा रहा है । कई लोगों ने कहा है कि एक ही बार में आप सारे पार्ट एक ही बार में क्यों नहीं डाल देते हैं । तो उसकी वजह यह है कि एक बार में सारे पार्ट डालने पर आधे लोग उसकी रोचकता को नहीं जान पाते । इसलिए पूरा नहीं देखेंगे कुछ लोग थोड़ा देख करके छोड़ देंगे । और तीसरी समस्या होगी मुझे अपलोड करने में क्योंकि वह कई जीबी फाइल हो जाएगी इस वजह से इतनी बड़ी फाइल यूट्यूब पर अपलोड होना भी मुश्किल पड़ता है । इसलिए हम कहानियों को बनाते हैं और यह कहानियां बहुत प्राचीन है । और जहां जहां से इकट्ठा करके लाई जाती हैं आप लोग सोच भी नहीं सकते ।तो इसलिए कहानियां सिर्फ मनोरंजन के लिए हैं बल्कि शिक्षा भी देती है । और तंत्र मंत्र के बारे में जानकारी भी देती हैं । तो हम आगे जानते है कि आखिर आगे क्या हुआ । आखरी भाग में जानेंगे कि भैरवी की परीक्षा में महोदर बाबू कहां तक सफल हुए  ।

और क्या इनकी आगे की कहानी घटित हुई । जैसे कि आप लोग जानते हैं कि भैरवी और उसके साधक के बीच में अब कोई नहीं रह गया था ।क्योंकि भैरवी ने सीधा संकेत दे दिया था कि मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाओ और अगर तुम ऐसा नहीं कर पाते हो तो मैं तुम्हें जान से मार दूंगी । और रूप स्वरूप सुंदरता पर तो हर व्यक्ति मोहित हो जाता है लेकिन घृणितपन में भला कौन तैयार होगा । तारापीठ की उस श्मशान भैरवी ने ऐसा भयंकर रूप बनाया था जो शरीर सड़ रहा होता है जो मांसन शरीर होते हैं यानी कीड़े लगे होते हैं । कभी आप उस लाश को देखेंगे तो आप घृणा से ही मर जाएंगे । और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना कैसे संभव हो सकता है ।महोदर बाबू के सामने जब इस बात की शर्त रखी गई महोदर बाबू का दिमाग सुन्नता में जाने लगा । वे सोचने लगे भला में इसके साथ संबंध बना कैसे पाऊंगा । उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था तभी भैरवी ने उनसे कहा मेरा चुंबन तो लीजिए । अब चुंबन लेने के लिए जैसे महोदर बाबू आगे बढ़े उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली ठीक हुआ भी वैसे ही वह जो कीड़े उसके दांतों में लगे हुए थे ।

वह महोदर बाबू के होठों में चिपक गए और उनके  होंठों को चूसने और काटने लगे । लेकिन फिर भी चुम्मा तो लेना ही था और उन्होंने वह किया । सोचिए कितनी धनात्मक परिस्थिति उनके लिए पैदा हो गई थी । इस बात की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है । भैरवी को उन्होंने अपनी बाहों में लिया किसी सड़े शरीर को कोई कैसे अपनी बाहों में ले सकता है । किस प्रकार से उसे प्यार कर सकता है लेकिन वह उनकी मजबूरी थी । तभी उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि वह सारे कीड़े उनके शरीर पर लग चुके है क्रिया करने लगे । जो उसके शरीर के साथ कर रहे थे यानी कि उनके शरीर को भी उन्होंने खाना शुरु कर दिया । दर्द से बिलबिलाते हुए उधर बाबू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था । वह किस प्रकार से आंखें बंद की उससे प्रेम करने की कोशिश कर रहे हैं । ऐसे घृणात्मक कार्य को करने के बारे में भला धरती पर कौन सोच सकता है । लेकिन अपने मन को पक्का करके वह कार्य जारी रखा । थोड़ी ही देर हुई उसके बाद अचानक से उन्हें सच में वह अपने होठों पर दूसरे के होठ महसूस होने लगे । जो बहुत ही ज्यादा मुलायम थे और उनको ऐसा लग रहा था जैसे फूलों की पंखुड़ियां । तभी उन्होंने उस शरीर को महसूस किया जो एक स्त्री का शरीर होता है । जिसे उन्होंने अपने गले लगाया हुआ था और इसी के साथ में भैरवी ने अत्यंत ही सुंदर स्वरूप धारण कर लिया ।

महोदर बाबू से उसने कहा आप अपनी आंखें खोल सकते हैं । तुरंत ही महोदर बाबू ने अपनी आंखें खोली तो उन्हें एक ऐसी सुंदर स्त्री दिखी जो स्वर्ग की अप्सरा से भी ज्यादा सुंदर थी । उसके रूप स्वरूप लवणता का कोई वर्णन नहीं था । अत्यंत ही तेज से चमकती हुई बहुत ही सुंदर स्त्रियों के सामने खड़ी थी । अभी दो पल पहले इतनी भयानक और इतनी घृणित स्त्री और इतनी अधिक सुंदर कैसे हो सकती थी । यह कैसी माया थी जो उन्होंने आज देखी थी । इस बात को समझ ही नहीं पा रहे थे लेकिन फिर भी जब उन्होंने उस भैरवी को और उसके  मुस्कुराते हुए चेहरे को जो अद्भुत सुंदर चेहरा था । देख कर मन ही मन अपने आप को संतुष्टि के लायक समझा कि । हां यह स्त्री अगर मेरी पत्नी होती तो कितना सुंदर होता संसार की सबसे ज्यादा सुंदर स्त्री इस समय मेरे सामने खड़ी है । लेकिन दो पल पहले ही वह ऐसी भयानक थी जिसके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है । यह सब सोच रहे थे कि तब तक भैरवी ने स्वयं ही उत्तर दिया और उनसे कहने लगी महोदर बाबू आप अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए । शरीर के आकर्षण पे तो हर पुरुष तैयार हो जाता है लेकिन जो किसी से सच्चा प्रेम करेगा यह सच्ची श्रद्धा रखेगा या अपने कार्यों के प्रति समर्पित रहेगा उसको सफलता मिलना तय होता है ।

मैंने आपकी भयंकर से भयंकर परीक्षा ली लेकिन अभी भी आपके मन में मुझे पत्नी बनाने की जो भाव हैं । इसकी परीक्षा होना शेष है यद्यपि आप शारीरिक आकर्षण परीक्षा में तो सफल हो गए । क्योंकि आपने मुझे उस रूप में भी स्वीकार किया जिस रूप में मुझे भला संसार कोई भी इंसान स्वीकार ही नहीं करता । मैंने वह रूप स्वरूप बनाया ही इसीलिए था कि आप मुझे देख कर के भयभीत हो जाए और साधना छोड़कर भाग जाए या फिर अगर आप नहीं मानते तो मैं सच में आप का वध कर देती । क्योंकि आप में कामुकता भरी है तभी तो आप ऐसा सोच पा रहे हैं । लेकिन फिर भी मुझे पत्नी के रूप में प्राप्त करने के लिए आपको मेरे समान ऊर्जावान होना होगा । इसलिए अब आप अपनी आखिरी और अंतिम परीक्षा के लिए तैयार हो जाओ । जो अभी तक की परीक्षाओं में सबसे ज्यादा भयंकर है । आप सोच भी नहीं सकते हैं क्या आप के साथ क्या होने वाला है । अभी तक खुश हो रहे हैं महोदर बाबू जो उसके चेहरे से अपनी नजर भी नहीं हटा पा रहे थे । इतनी सुंदर स्त्री को देख करके एक बार फिर से मन में भयभीत होने लगे की भला भैरवी अब क्या उनके साथ करने वाली है । अभी तक जो घटित हुआ क्या वह कम था जो अभी भी कोई भयंकर परीक्षा शेष है ।

भैरवी ने कहा यह परीक्षा हर व्यक्ति को देनी पड़ती है इस गोपनीय रहस्य को जानिए हमारी जो ऊर्जा है वह आपको धारण करनी होगी । अगर आप धारण कर पाए तो सहज स्वरूप से मैं आपकी पत्नी हो जाऊंगी ।लेकिन आपने अपनी प्रार्थना पूजा और साधना के माध्यम से इतनी ऊर्जा नहीं हुई तो आप निश्चित रूप से मृत्यु को प्राप्त हो जाएगे । इस रहस्य को कोई नहीं जानता है इसीलिए यह रहस्य गोपनीय है साधक को पूर्ण सिद्धि के लिए खासतौर से जब वो प्रेमिका या पत्नी के रूप में सामने वाली शक्ति को सिद्ध करता है । तो वह उसके शरीर का आधा भाग हो जाती है । क्योंकि अपनी अर्धांगिनी होती है यानी कि उसकी पूरी उर्जा उसके शरीर में समाहित हो जाती है । उस ऊर्जा के कारण अगर वह ऊर्जा सहने लायक नहीं है उसने तप किया है या फिर उसमें उतनी साधना नहीं है कि उसकी ऊर्जा को वह धारण कर पाए तो निश्चित रूप से मृत्यु को प्राप्त हो जाता है । इसीलिए सभी पत्नी या प्रेमिका बनाने में शक्तियों को डरते है । क्योंकि वह शक्ति आपका शरीर धारण करती हैं और आप उसकी ऊर्जा को धारण करते हैं इसलिए आप शक्तिवान हो जाते हो । उसकी सारी शक्तियां आपको मिल जाती हैं और उसे आपका शरीर प्राप्त हो जाता है । इस प्रकार दोनों में हमेशा के लिए मिलन होता है । इसलिए तैयार हो जाइए महोदर बाबू आपकी कठिन परीक्षा होने वाली है ।

महोदर बाबू ने कहा जब इतना हो चुका है तो भला इससे मैं क्यों डरू आप सहज स्वरूप से अपनी सारी ऊर्जा मेरे शरीर के अंदर भर दीजिए । श्मशान भैरवी ने गोपनीय मंत्र पढ़ते हो उसके शरीर में अपनी उर्जा को संचार पूरी तरह से करने लगी और साथ ही साथ उसके शरीर में प्रवेश करने लगी । महोदर बाबू के शरीर में इतनी तीव्र ऊर्जा का संचार हुआ उनके शरीर के अंदर की नसें फटती सी महसूस हुई । दिमाग झनझना सा गया सिर में ऐसा लगा जैसे आग लगी हुई है । शरीर का हर अंग अंदर से थर थर थर थर कांप रहा था । मस्तिष्क साथ नहीं दे रहा था । उस ऊर्जा की शक्ति इतनी तीव्र थी कि उनका शरीर कांपने लगा । आंखें स्थिर रखना कठिन हो गया शरीर पूरा अंदर से झंझरा रहा था । इस ऊर्जा का प्रभाव इतना तीव्रता से पढ़ने लगा कि उनकी नाक से खून निकलने लगा । लेकिन शमशान भैरवी उनके शरीर में अपनी शक्तियां और स्वयं प्रवेश करती ही चली जा रही है ।महोदर बाबू को लगा अब मेरा प्रणान्नत निकट है मैं मरने वाला हूं । यह सोचकर के अंतिम उपाय जो उनके गुरु ने बताया था कि जीवन भर जिस गुरुमंत्र मां शक्ति की उन्होंने आराधना की है ।

उस शक्ति को याद करने का समय आ चुका है अब उसके अलावा कोई और मार्ग शेष नहीं है । क्योंकि उसे भी तभी याद किया जाता है जब आपकी अपनी सामर्थ्य समाप्त हो चुकी हो । वरना वह शक्ति साथ नहीं देती और यहां पर महोदर बाबू की आंतरिक आत्मिक और मानत्रिक तीनों ही शक्तियां समाप्त हो चुकी थी ।इसलिए उन्होंने अत्यंत ही दर्द में भरे हुए अपने शरीर से उस पाराशक्ति मां जगदंबा को याद किया । और कहा हे मां दुर्गा मैंने बचपन से लेकर के आपकी अभी तक अराधना की इस संसार में जितनी भी स्त्रियां है वह सब आपका ही रूप स्वरूप है अर्थात आपकी ऊर्जा ही सारी स्त्रियों में भरी हुई है । इसलिए हर स्त्री में ममता होती है हर स्त्री में प्रेम होता है क्योंकि आप माता परा शक्ति हो पांचों भूतों की संपूर्ण जननी हो । अग्नि पृथ्वी वायु आकाश जल इन सभी तत्वों की आप मालकिन हो । यह सारे तत्वों एक दूसरे से विखंडित होते हैं और फिर एक-दूसरे में ही समाहित हो जाते और हर जीव इन्हीं तत्वों से बना हुआ है । इसलिए आपकी संपूर्ण उर्जा हर हर जीव में है । हर प्रकृति के हर अंश में आपका ही अंश विद्यमान है ।

तो भला इस श्मशान भैरवी में भी क्यों नहीं होगा । मैं इसकी उर्जा को झेल नहीं पा रहा हूं मां अगर मेरी मृत्यु हो तो मेरी आत्मा आपके चरणों में जाए । इसे कोई और ना ले जा पाए मैं अपने आप को सोपता हूं आपको समर्पित करता हूं । क्योंकि मेरी समर्थक आखरी समय में नहीं रह गई है के में इसकी ऊर्जा को जेल पाऊं । मैं अब कुछ नहीं जानता अगर मैंने कभी भी मन वचन कर्म से आपका भक्ति की दिल से आराधना की हो तो है मां मुझे धारण करो मेरी रक्षा करो और जैसा उचित समझें वैसा करो । किंतु अगर मेरी मृत्यु हो जाए तो भी मेरा शरीर तो भले ही पंचतत्व में विलीन हो जाएगा । लेकिन मेरी आत्मा आपके चरणों को ही प्राप्त हो अपने गुरु मंत्र से मैंने बचपन से जाप किया है मैं उस मंत्र का आवाहन कर आपको पुकारता हूं । हे मा दुर्गे मेरी रक्षा कीजिए कई देर तक इस प्रकार उच्चारण करने पर अचानक ही उस श्मशान के आकाश में एक बहुत तेज श्वेत रंग का प्रकाश हुआ । वह चमक के कुछ बिंदु तेजी से उस प्रकाश की किरणें गिरती हुई सीधे आकर के महोदर बाबू के सिर में समा गई । और फिर एक चमत्कार घटित हुआ श्मशान भैरवी पूरे शरीर में प्रवेश कर गई  । और इसके बावजूद भी महोदर बाबू स्थिर रहे शांत रहे उन्हें कुछ भी महसूस नहीं हुआ । और इसी के साथ मां की परम कृपा के कारण श्मशान भैरवी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाई ।

और तुरंत ही उनके मुख से बाहर निकल कर और बाहर आई और प्रसन्नता से कहते हुए कहने लगी । हे महोदर बाबू आज से आप मेरे भैरव हुए और मैं आपकी भैरवी मैं सहजता से अपने स्वामी के रूप में स्वीकार करती हूं । आपने मेरी संपूर्ण ऊर्जा को इस प्रकार से समाहित कर लिया था कि मैं आपके शरीर में ऐसे चक्कर लगा रही थी जैसे ब्रह्मांड में वायु चलती है । मुझे पता ही नहीं चला कि आपका शरीर किस प्रकार से अलग स्वरुप में बदल गया । महोदय बाबू के आंखों के सामने अति सुंदर कन्या थी जो विवाह करने के लिए उत्सुक थी । और उसने अपने हाथ में वरमाला प्रकट की वरमाला महोदय बाबू के गले में डाल दी । और महोदय बाबू के भी हाथ में उसने और एक वरमाला प्रकट कर दी और उसे उस माला को उन्होंने श्मशान भैरवी के गले में डाल दिया । इस प्रकार दोनों का विवाह संपन्न हो गया । इस प्रकार से अब बहुत ही सूक्ष्म तरीके से एक मंत्र कान में श्मशान भैरवी ने महोदर बाबू को बताया और कहां । हे देव आप सुने इस मंत्र का उच्चारण सात बार कीजिएगा मैं आपके सामने प्रकट हो जाया करूंगी ।

और इस बात का आप किसी को भी पता न लगने दें क्योंकि गुप्त विद्वानों को गुप्त रहने देना होता है ।और उसका प्रकृतिकरण कर दो तो इस सांसारिक जीवन की मान्यता क्या है । इसलिए आपको यह सब छुपा के रखना होगा इसके बाद वहां पर फूलों की वर्षा हो गई जब साधना संपन्न हो गई । उसके बाद जो गुरु श्याम पंडित जी थे वे वहां पर आए और उन्होंने देखा कि वहां जहां पर महोदय बाबू बैठे हुए हैं वहां पर चारों तरफ फुल विद्यमान है  । उन फूलों को देख कर मुस्कुराते हुए गुरु श्याम पंडित कहने लगे महोदर बाबू क्या हुआ । लगता है आपकी साधना संपन्न हो गई है गुरु श्याम पंडित के वचनों को सुनकर महोदर बाबू मुस्कुराते हुए बोले । हां कुछ ऐसा ही समझ लीजिए लेकिन अब मैं कुछ बता नहीं सकता हूं । लेकिन आप तो सब कुछ जानते ही हैं के क्या हुआ है इस प्रकार वे 21 दिन की साधना संपन्न हो चुकी थी । और महोदय बाबू के पास एक बहुत बड़ी सिद्धि थी । कहते हैं इसके बाद मे महोदर बाबू अपने घर मैं ही बैठे रहते थे । और उन अंग्रेज अफसरों का काम कोई शक्ति उनके ऑफिस में बैठकर कर देती थी ।

कभी ऐसा महसूस भी नहीं हुआ अंग्रेजों को की महोदर बाबू घर में बैठे हुए हैं । और इधर उनके सारे कार्य का संपादन कोई दूसरे महोदर बाबू कर रहे हैं । क्या था उन चीजों का रहस्य कुछ नहीं पता चल पा रहा था । लेकिन एक बार अंग्रेज अफसर ऑफिस दोपहर को गया और उन्होंने महोदर बाबू से कुछ कहा । उसके तुरंत बाद ही महोदर बाबू कि घर की तरफ वह अंग्रेज निकल गया शायद कुछ अलग चीजें जो थी उसे बताई गई थी । जैसे ही वे दरवाजे पर पहुंचा अचानक घर के अंदर से महोदर बाबू निकले और उन्हें बैठाया चाय नाश्ता पान कराया । अंग्रेज अफसर को कुछ समझ में नहीं आया कि ऑफिस में कोई और कार्य कर रहा है तो यह यहां पर जो महोदर बाबू है यह क्या है । दो दो जगह महोदर बाबू कैसे हो सकते हैं । वहां से तुरंत उठा उन्हें कुछ भी बताए बिना फिर ऑफिस पहुंच गया जहां पर महोदर बाबू काम कर रहे थे । उसे कुछ समझ में ही नहीं आया उसने बड़े प्रेम से आदर सहित अपने पास बुलाया और उनका प्रमोशन कर दिया । क्योंकि उसने यह सुना था कि महोदर बाबू एक बहुत बड़े तांत्रिक हो चुके हैं कोई बात समझ में नहीं आ रही थी ।

लेकिन फिर भी वह इस बात के लिए खुश था कि उसका काम बड़ी तेजी से बड़ी जल्दी से हो रहा है । एक बार फिर से वह महोदर बाबू के लिए उसने पत्रकारों को इकट्ठा किया कि आधे पत्रकार उनके घर जाइए और आधे पत्रकार मेरे ऑफिस में आइए । मैं आपको एक चमत्कार दिखाता हूं तो आधे पत्रकार ऑफिस में आ गए और आधे पत्रकार उनकी घर की तरफ निकलने लगे । पत्रकारों के साथ में उनके गुरु और मित्र गुरु श्याम पंडित जी भी थे जो घर पर जा रहे थे  । और वह घबरा रहे थे कि आज कुछ गलत ना हो जाए जैसे ही उन्होंने दरवाजा खटखटाया अंदर कोई नहीं था वहां पर जब अंदर जाकर पत्रकार लोग कमरे में जाकर पहुंचे । तो वहां पर एक कागज पड़ा हुआ था जिस पर महोदर बाबू ने कुछ लिखा हुआ था । सब ने मिलकर उसे पढ़ा और उसमें लिखा हुआ था । मेरी चिंता मत करिएगा गुरु श्याम पंडित जी को मेरा नमस्कार बस मैं आपको यही कहना चाहता हूं उब आती है इस दुनिया से ।इसलिए कहीं और इससे कहीं सुंदर दुनिया में मैं जा रहा हूं यह मत सोचिएगा कि मेरे साथ कुछ गलत हो रहा है ।

मैं स्वेच्छा से जा रहा हूं और बहुत ही प्रसन्न हूं आनंद की सीमा धरती पर है लेकिन उसके बाहर आनंद की कोई सीमा नहीं है । कोई बंधन नहीं है यहां पर । मैं वहां जा रहा हूं साथ में आप जानते ही हैं मेरे साथ कौन है और मैं स्वेच्छा से जा रहा हूं । इसलिए परेशान मत होइएगा सभी को किसी ना किसी दिन जाना ही होता है । मैंने थोड़ा जल्दी कर दिया इसलिए गुरु श्याम पंडित जी को प्रणाम और वह सब संभाल लेंगे । यह सब सोचता हूं इस पत्र को अपने पास रखे रहेंगे यह उन्होंने लिखा था इस पत्र में और उस पत्र को गुरु श्याम पंडित ने लोगों को और उन पत्रकारों को दिखाया । इधर इनके ऑफिस में भी आज महोदर बाबू दिखाई नहीं पड़े । दोनों ही जगह महोदर बाबू नहीं थे आखिर महोदर बाबू कहां गए थे । यह विचारणीय बात थी लेकिन यह कहानी यहीं पर समाप्त हो जाती है । आखिर महोदर बाबू गए कहां और गुरु श्याम पंडित को वह क्या कह गए । गुरु श्याम पंडित ने यह बात अपने आने वाले शिष्य को बताई और उनके मुख से धीरे धीरे एक एक शिष्य के मुंह में जाती रही और पीढ़ी दर पीढ़ी यह बात चलती रही जो आज कहानी के रूप में आप को प्राप्त है । तो वह क्या था सत्य वह कहां चले गए यह सब आज भी रहस्य है और रहस्यात्मक है । शमशान भैरवी और उसकी कहानी । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।