नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना भाग 10 में आपने जाना कि एक तांत्रिक व्यक्ति। महारानी से संबंध स्थापित कर लेता है जिसकी खबर राजा के गुप्तचरों द्वारा राजा को बता दी जाती है। अब क्रोधित राजा क्या करता है आज के इस भाग में हम लोग जानेंगे।जब राजा को इस बात की खबर मिली कि उसकी पत्नी गर्भवती है तो वह काफी प्रसन्न हुआ। लेकिन इस बात से वह बहुत अधिक नाराज हो गया कि वह किसी तांत्रिक के पास छुप-छुपकर मिलने के लिए जाती है। और शायद यह उसी तांत्रिक की संतान है। राजा अपने सैन्य बल के साथ उस ओर बढ़ चला जिस तरफ वह तांत्रिक रहता था। अब तांत्रिक मंजूषा को बताता है।राजा के आने से पहले ही। वह पिशाचिनी मेरे सामने साक्षात प्रकट हो गई और कहने लगी। जल्दी से यह स्थान छोड़ दो क्योंकि राजा और उसके सैनिक आ रहे हैं। मैं तुम्हें आगे बताती हूं कि तुम्हें क्या करना चाहिए ताकि तुम इस समस्या से निकल सको। मैंने पिशाचीनी की बात मानना ही उचित समझा। क्योंकि राजा और उसकी सेना के आगे भला मैं क्या कर पाता? अब मुझे कुछ ऐसा करना था जिसकी वजह से मैं अपनी रक्षा करने के साथ अपने धन की रक्षा भी कर पाता और जिस प्रकार समाज में मेरी प्रसिद्धि फैल रही थी उस को धक्का भी ना लगे। इसलिए मैंने फिलहाल जंगल में भाग जाना ही उचित समझा और मैं जंगल में एक गुप्त स्थान पर तब तक रहने चला गया। वहीं से मैंने एक संदेश भिजवाया और यह संदेश राजा के लिए था। मैंने एक व्यक्ति के माध्यम से जो असल में एक प्रेत ही था।रक्त पिशाचिनी की आज्ञा से उस राजा के पास संदेश सहित भिजवाया। उसमें मैंने यह बात बताई थी कि आपको गलतफहमी हुई है। मैंने तंत्र विद्या के प्रयोग से आपके वीर्य को महारानी के गर्भ में स्थापित करवाया है। और आपने मुझ पर ही शक कर लिया है। आप मुझसे आकर मिलिए मैं इस तांत्रिक चमत्कार को आपको साक्षात दिखाऊंगा। लेकिन? आपको अकेले ही आना होगा और? अपने किसी भी सैनिक को मेरी।कुटी से। काफी दूर ही खड़ा करना होगा क्योंकि अपने रहस्य मैं किसी को नहीं दिखा सकता।यह सारी बातें मुझे पिशाचीनी ने ही बताई थी और उसने कहा था कि इसी प्रकार कहना। राजा को जब इस बात का पता चला तो उसने सोचा कहीं उससे कोई गलती तो नहीं हो गई? कहीं उसके गुप्त चरो ने उसे गलत सूचना तो नहीं दे दी है? इसके लिए आवश्यक है कि वह जाकर के उस तांत्रिक से मिले। अब राजा जंगल में मुझसे मिलने के लिए आ गया। पिशाचीनी ने कहा था कि सबसे पहले उसे जलपान के लिए पूछना। और मैंने वही किया, मैंने उसे जलपान के लिए पूछा और उसे पीने के लिए शुद्ध जल दिया । जल पीकर के वह वहीं पर ढेर होकर गिर गया। मैंने! पिशाचीनी से पूछा यह क्या हुआ? तब वह कहने लगी इसकी तो बलि तुमने दे दी। अब यह मरकर मेरी ही सेवा करेगा। और अब तुम्हारे रास्ते का कांटा भी हट चुका है। महारानी को बुलाओ और उसके साथ राज्य करो!तब मैंने उस महारानी को संदेश भिजवाया कि तुम्हारे पति की मृत्यु हो चुकी है। अब तुम्हारे और मेरे बीच में कोई नहीं आ सकता है। किंतु मेरी योजना के विरुद्ध उस रानी ने हंसते हुए कहा। मुझे पुत्र प्राप्त हो चुका है। मैं किसी तांत्रिक के साथ अपना जीवन व्यतीत नहीं कर सकती।और अब तुम मुझे भूल जाओ। मेरे लिए यह सब बातें आश्चर्य में करने वाली थी। क्योंकि मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि मुझे रानी धोखा देगी।इस पर पिशाचीनी ने क्रोधित होकर कहा, तुम उसे भी जान से मार कर उसका राज्य छीन लो।अब मैं राज्य की ओर चलने लगा क्योंकि पिशाचिनी की सलाह से अब मुझे रानी के पास जाकर रानी को अपने वशीकरण में लेना था। लेकिन तभी रास्ते में कई लोगों ने मुझ पर हमला कर दिया। तब पिशाचिनी ने कहा, तुम इन सब को मारने के लिए मेरी प्रेत सेना का आवाहन करो। और मेरी प्रेत सेना! इन सब का नाश कर देगी इसके लिए तुम! अपने रक्त को जमीन पर गिरा दो। मैंने अपने हाथ की उंगली काट कर उस के खून को जमीन पर गिरा दिया और वहां पर सैकड़ों की संख्या में प्रेत प्रकट हो गए। उन प्रेतों की शक्ति के आगे अब लोगों की कोई एक न चली। प्रेतों ने एक एक को जान से मार दिया।और इस प्रकार से वहां पर कई सारी लाशे बिछा दी गई।लाशों को इस प्रकार से रखा गया। की? वह मैं उस पिशाचिनी को अर्पित कर पाऊं और चमत्कार घटित हुआ पिशाचीनी अब बहुत अधिक शक्तिशाली हो गई थी। उसने कहा, तुमने इन सब को मुझे अर्पित किया। अब यह सब मेरी सेवा करेंगे और यह सारी! प्रेत सेना में शामिल होंगे।यह एक चमत्कार था। जिसमें मैंने खुद देखा कि मेरी पिशाचीनी अब कितनी अधिक शक्तिशाली हो चुकी थी। उसने कहा, मैं इतनी अधिक शक्तिशाली हो चुकी हूं कि अब तुम्हें इस राज्य का सर्वोच्च बना दूंगी। चलो राज्य की ओर चलो।अभी हम लोग राज्य पहुंचे ही थे कि? बाहर महारानी! और एक व्यक्ति आपस में बात कर रहे थे। हम लोगों ने उसे देखा! वह एक! भक्त दिखाई पड़ता था।वह दुर्गा माता का एक भक्त था।मैं और पिशाचीनी थोड़ा आगे बढ़े ही थे कि हमारे पैर रुक गए। और आगे बढ़ने की शक्ति! सिर्फ मुझ में थी।लेकिन मैं पिशाचिनी के साथ आगे नहीं बढ़ पा रहा था।मैं यह बात समझ नहीं पाया और मैंने अपनी रक्त पिशाचिनी से पूछा। यह क्या है तुम मेरे साथ आगे क्यों नहीं बढ़ पा रही हो, ऐसा क्या रहस्य है तब उसने मुझे बताया कि तुम किस व्यक्ति को साधारण समझ रहे हो। यह माता दुर्गा का भक्त है इसने। इस राज महल के चारों तरफ सुरक्षा घेरा बना दिया है अब किसी? मानव शक्ति को छोड़कर। कोई अन्य क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकता। मेरी कोई शक्तियां यहां कार्य नहीं कर पाएंगी। इसलिए अब मैं कुछ नहीं कर सकती। तब मैंने उस! पिशाचिनी से पूछा। मेरे लिए क्या आज्ञा है, अब मैं क्या करूं? महारानी के पास जाऊं या नहीं तब उसने कहा, महारानी के पास जाने का अब कोई अर्थ नहीं बनता। सबसे पहले तुम्हें इस दुर्गा माता के भक्तों का नाश करना होगा। तभी तुम आगे बढ़ पाओगे। अन्यथा यह तुम्हें महारानी और राज्य तक पहुंचने ही नहीं देगा। मैं उसकी बात समझ चुका था। इसलिए सबसे पहले मुझे उस दुर्गा माता के भक्तों से दोस्ती करनी थी और मैं पहुंच गया उसके घर पर। मैंने उसकी पत्नी को बहुत सारे!सोने के सिक्के दिए और कहा कि आपके पिताजी ने मुझे यह दिया था। मैं वापस लौटाने आया हूं। यह देखकर उस ब्राम्हण स्त्री! के मन में बहुत अधिक प्रसन्नता आई और वह अपने पति को बुलाकर कहने लगी। इनकी सेवा सत्कार की जाए। यह मेरे मायके से आए हैं। तब उस दुर्गा माता के भक्त ने मेरी बहुत अच्छी आवाज भगत की।और मेरी हर प्रकार से उसने सेवा की। भोजन! देने के समय मैं और सभी लोग साथ में बैठे थे। तभी मैंने पिशाचिनी का आवाहन किया। पिशाचिनी ने कहा, घर के बाहर आओ। और विष ले जाओ। मैं? भोजन करने से पहले तुरंत घर के बाहर गया और विष लेकर आ गया। सभी लोग भोजन लगा चुके थे और साथ बैठकर खाने वाले थे। तभी मैंने वह विष सभी के भोजन में मिला दिया। और फिर सभी लोगों ने मेरे साथ भोजन करना प्रारंभ कर दिया।मैं अपनी इस कुटिल चाल पर बहुत खुश था। बाहर दूर पिशाचिनी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी। आगे क्या हुआ जानेंगे अगले भाग में तो अगर आपको यह कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 12
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तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 11
Dharam Rahasya
धर्म रहस्य -छुपे रहस्यों को उजागर करता है लेकिन इन्हें विज्ञान की कसौटी पर कसना भी जरूरी है हमारा देश विविध धर्मो की जन्म और कर्म स्थली है वैबसाइट का प्रयास होगा रहस्यों का उद्घाटन करना और उसमे सत्य के अंश को प्रगट करना l इसमें हम तंत्र ,विज्ञान, खोजें,मानव की क्षमता,गोपनीय शक्तियों इत्यादि का पता लगायेंगे l मै स्वयं भी प्राचीन इतिहास विषय में PH.D (J.R.F रिसर्च स्कॉलर) हूँ इसलिए प्राचीन रहस्यों का उद्घाटन करना मेरी हॉबी भी है l आप लोग भी अपने अनुभव जो दूसरी दुनिया से सम्बन्ध दिखाते हो भेजें और यहाँ पर साझा करें अपने अनुभवों को प्रकाशित करवाने के लिए धर्म रहस्य को संबोधित और कहीं भी अन्य इसे प्रकाशित नही करवाया गया है date के साथ अवश्य लिखकर ईमेल - dharamrahasya@gmail.com पर भेजे आशा है ये पोस्ट आपको पसंद आयेंगे l पसंद आने पर ,शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें l धन्यवाद